Beijing News: चीन की राजधानी बीजिंग में भारतीय दूतावास परिसर में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस प्रतिमा को प्रसिद्ध चीनी मूर्तिकार युआन शिकुन ने बनाया है। दूतावास द्वारा आयोजित ‘संगमम – भारतीय दार्शनिक परंपराओं का संगम’ संगोष्ठी के दौरान यह अनावरण समारोह आयोजित किया गया। चीन में भारतीय राजदूत प्रदीप रावत ने इस ऐतिहासिक क्षण की अध्यक्षता की।
राजदूत प्रदीप रावत ने अपने संबोधन में टैगोर की ऐतिहासिक चीन यात्रा को याद किया। उन्होंने कहा कि एक सदी पहले टैगोर की चीन यात्रा दोनों देशों के सभ्यतागत संवाद में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। रावत ने टैगोर के सार्वभौमिक मानवतावाद के संदेश पर विशेष जोर दिया। उन्होंने चीनी विद्वानों के साथ टैगोर की मित्रता को भी रेखांकित किया।
चीनी मूर्तिकार का विशेष योगदान
मूर्तिकार युआन शिकुन भारत-चीन सांस्कृतिक संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इससे पहले महात्मा गांधी की एक प्रतिमा भी बनाई थी। यह प्रतिमा 2005 में बीजिंग के चाओयांग पार्क में स्थापित की गई थी। इस प्रतिमा में गांधी जी को एक हाथ में किताब लिए बैठे हुए दर्शाया गया है। भारतीय दूतावास हर साल इसी स्थान पर गांधी जयंती का कार्यक्रम आयोजित करता है।
युआन शिकुन की कलाकृतियां दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु का काम कर रही हैं। उनकी कला में भारतीय और चीनी कलात्मक परंपराओं का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। टैगोर की यह नई प्रतिमा इसी सांस्कृतिक आदान-प्रदान की नई कड़ी है। यह दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करती है।
टैगोर की विरासत और चीन संबंध
रवींद्रनाथ टैगोर ने 1924 में चीन की यात्रा की थी। इस यात्रा ने भारत-चीन सांस्कृतिक संबंधों में नया अध्याय जोड़ा था। टैगोर ने चीन के प्रमुख बुद्धिजीवियों और विद्वानों के साथ गहरे संबंध बनाए थे। शू झिमो और लियांग किचाओ जैसे चीनी विद्वानों के साथ उनकी मित्रता विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
टैगोर का सार्वभौमिक मानवतावाद का दर्शन आज भी प्रासंगिक बना हुआ है। उनकी रचनाएं और विचार दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देते हैं। इस प्रतिमा के अनावरण से यह संदेश और मजबूत हुआ है कि कला और संस्कृति राष्ट्रीय सीमाओं से परे होती हैं। यह कदम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में सहायक होगा।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान का महत्व
भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल से ही बौद्ध धर्म और अन्य सांस्कृतिक तत्वों का आदान-प्रदान होता रहा है। टैगोर की प्रतिमा इसी ऐतिहासिक संबंधों की निरंतरता का प्रतीक है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संवाद को बनाए रखना आज के दौर में और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
यह प्रतिमा भारतीय दूतावास में स्थापित की गई पहली टैगोर प्रतिमा नहीं है। हालांकि इसकी विशेषता यह है कि इसे एक प्रख्यात चीनी मूर्तिकार ने बनाया है। इससे दोनों देशों की सांस्कृतिक साझेदारी का नया आयाम सामने आता है। यह कलात्मक सहयोग भविष्य में और सांस्कृतिक परियोजनाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
