Shimla News: शिमला डिवेलपमेंट प्लान पर पहले आ चुकी आपत्तियां सुनने से पहले राज्य सरकार इस पूरे मामले में कानूनी सलाह लेगी। शहरी विकास विभाग के सचिव महाधिवक्ता के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले को लागू करने से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर 3 मई 2023 को यह फैसला दिया था कि राज्य सरकार 6 सप्ताह के भीतर शिमला डिवेलपमेंट प्लान पर आई आपत्तियों को फाइनल करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि आपत्तियां फाइनल होने और पब्लिश होने के बाद भी प्लान अगले 1 महीने तक लागू नहीं होगा।
इस अवधि में शिमला में कोई नई कंस्ट्रक्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी। अब गेंद राज्य सरकार की कोर्ट में है। एनजीटी ने इससे पहले शिमला डिवेलपमेंट प्लान पर रोक लगा दी थी और 2017 में लगाई गई प्लानिंग और निर्माण संबंधी बंदिशों में कोई छूट देने से इनकार किया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ डिवेलपमेंट प्लान को पब्लिश करने की मंजूरी दे दी है। हालांकि इससे शिमला में बन चुके अनधिकृत भवनों को कोई राहत नहीं मिलेगी।
इन्हें राहत देने के लिए अप्रैल 2022 में पूर्व जयराम सरकार की कैबिनेट ने शिमला डिवेलपमेंट प्लान बनाने का फैसला लिया था। 12 मई 2022 को एनजीटी ने इस प्लान पर इसलिए रोक लगा दी कि यह उनके द्वारा 17 नवंबर 2017 को दिए गए आदेशों का उल्लंघन है। एनजीटी ने तब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को भी विकास योजना को लागू करने को लेकर कोई कदम उठाने से रोक दिया था और मुख्य सचिव को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार बनाया था। अब सुप्रीम कोर्ट से कुछ राहत जरूर मिल गई है, लेकिन इसे लागू कैसे करना है?
इस पर पहले लीगल स्क्रूटनी होगी। शहरी विकास और टीसपी के सचिव देवेश कुमार ने बताया कि शिमला डिवेलपमेंट प्लान को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी मिल गई है और इसे अभी परखा जा रहा है। बहुत जल्द इस मामले में महाधिवक्ता के साथ बैठक होगी और राज्य के विधि विभाग से भी सरकार चला ले सकती है। इसके बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा।