Himachal News: ब्यास नदी मनाली से मंडी तक विनाश का कारण बन गई है। कीरतपुर मनाली फोरलेन को पिछले दो साल से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ड्रेजिंग नीति न बनने और गाद निकासी न होने से हालात बिगड़े हैं। कुल मिलाकर 1700 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति का अनुमान लगाया गया है।
साल 2023 की आपदा के दौरान ब्यास नदी ने अपने किनारे पूरी तरह बदल दिए। मनाली से कुल्लू के बीच कई स्थानों पर मार्ग बह गया। यातायात पच्चीस दिनों तक पूरी तरह ठप रहा। पर्यटन सीजन चौपट हो गया और होटल खाली रहे। किसानों की उपज खेतों में सड़ गई।
इस साल फिर बरपाया कहर
इस साल भी बरसात में नदी ने फिर तबाही मचाई। चौंतालीस स्थानों पर फोरलेन क्षतिग्रस्त हुई। बाढ़ का पानी कुल्लू से मनाली तक पांच किलोमीटर से अधिक मार्ग बहाकर ले गया। मार्ग सोलह दिनों तक बाधित रहा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को इस साल अकेले हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मंडी से मनाली के बीच डोहलू नाला और टकोली में दो प्रमुख टोल बैरियर हैं। ये कई दिनों तक बंद रहे। टोल बैरियर बार-बार बंद करने पड़े। इससे सरकार को भारी राजस्व हानि झेलनी पड़ी। नदी में गाद और पत्थरों के जमाव से नदी तल ऊंचा हो चुका है।
ड्रेजिंग पर अटका मामला
वर्ष 2023 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल सरकार से नदी की ड्रेजिंग करवाने का आग्रह किया था। इसके बाद एक उच्च स्तरीय समिति बनी। समिति ने ड्रेजिंग को आवश्यक और तत्काल कदम बताया। लेकिन मामला फाइलों से आगे नहीं बढ़ सका।
एनएचएआइ के अध्यक्ष ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर ब्यास नदी की ड्रेजिंग के लिए कार्रवाई की अपील की। अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वीरवार को प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता में बैठक हुई। परंतु कोई समाधान नहीं निकल पाया।
अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा प्रभाव
मंडी एनएचएआइ के परियोजना निदेशक वरुण चारी ने कहा कि मार्ग को बार-बार हो रहे नुकसान से राष्ट्रीय संपत्ति का ह्रास हो रहा है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था, पर्यटन, बागबानी और कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मनाली से मंडी तक कई स्थानों पर मार्ग की सुरक्षा के लिए ब्यास नदी की ड्रेजिंग अनिवार्य है।
बैठक में यह तय हुआ कि अब ड्रेजिंग का प्रस्ताव राज्य कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। लेकिन यह प्रस्ताव कब बनेगा और चर्चा कब होगी, यह अभी अनिश्चित है। अधिकारियों ने मामले को पेचीदा बताकर जिम्मेदारी सरकार पर डाल दी है।
