Himachal News: हिमाचल प्रदेश की पौंग झील में बाथू दी लड़ी मंदिर जलमग्न होने वाला है। झील का जलस्तर 1329.15 फीट तक पहुंच गया। मंदिर का परिसर आधा पानी में डूब चुका है। अगले 15-20 दिनों में यह पूरी तरह पानी में समा जाएगा। पर्यटक अब दूर से दर्शन कर लौट रहे हैं। यह मंदिर आठ माह तक पानी में रहेगा।
मंदिर का धार्मिक महत्व
बाथू दी लड़ी मंदिर पौंग झील में स्थित है। कथानुसार, पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इसे बनाया था। मंदिर में भगवान शिव और विष्णु की मूर्तियां हैं। यह मार्च-जून में दर्शन के लिए उपलब्ध रहता है। बाथू पत्थर से बने इस मंदिर को नुकसान नहीं होता। पर्यटक नाव से इसे देखने आते हैं। यह स्थल आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है।
बढ़ता जलस्तर और चुनौतियां
पौंग झील में 26751 क्यूसिक पानी आ रहा है, जबकि 18000 क्यूसिक छोड़ा जा रहा है। जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। मंदिर परिसर में दलदल की स्थिति बन गई है। विशेषज्ञों ने प्रशासन से पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग की। इससे अप्रिय घटनाओं को रोका जा सकता है। मंदिर जुलाई से फरवरी तक पानी में डूबा रहता है।
पांडवों की कथा
कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास में इस मंदिर का निर्माण किया। उन्होंने स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाने की कोशिश की। एक तेलिन की आवाज से रुकने के बाद सीढ़ियां अधूरी रह गईं। मंदिर में प्रवेश और निकास द्वार हैं। द्रोपदी के लिए कुआं भी बनाया गया था। यह मंदिर पांडवों की आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
पर्यटकों की सुरक्षा चिंता
बढ़ते जलस्तर के कारण मंदिर तक पहुंचना जोखिम भरा हो गया है। प्रशासन और वन्य प्राणी विभाग से सुरक्षा उपायों की मांग हो रही है। पर्यटकों को नाव से मंदिर के दर्शन करने की सलाह दी गई है। स्थानीय लोग और पर्यटक इस मंदिर की अनूठी सुंदरता देखने आते हैं। यह स्थल कांगड़ा जिले का प्रमुख आकर्षण है।
