Uttar Pradesh News: वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर का 54 साल से बंद तहखाना आखिरकार खोल दिया गया। यह 160 साल पुराना खजाना धनतेरस के शुभ अवसर पर सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच खोला गया। तहखाने को खोलने की प्रक्रिया गर्भगृह के मुख्य द्वार से आरंभ हुई। वहां पहले दीप प्रज्वलित किया गया और नीम की डाल रखी गई। दरवाजे को ग्राइंडर से काटा गया और विधिवत मंत्रोच्चार के बीच दरवाजा खोला गया।
तहखाने में दो रास्ते मिले और वहां मलबा पड़ा हुआ था। मलबे को हटाकर तहखाने का रास्ता ढूंढा गया। सीढ़ियों के रास्ते समिति के सदस्य अंदर गए। अंदर एक जहरीला सांप निकला और तांबे के कुछ बर्तन पड़े हुए थे। सर्चिंग टीम को दो संदूक मिले – एक लोहे का और दूसरा लकड़ी का। इसके अलावा तीन कलश भी मिले हैं।
खजाने में मिली ये चीजें
लकड़ी के बक्से के अंदर छोटे-बड़े ज्वेलरी के कई खाली डिब्बे मिले। चार-पांच ताले भी निकले हैं। बक्से में दो फरवरी 1970 का लिखा हुआ एक पत्र भी मिला। इसके अलावा एक चांदी का छोटा सा छत्र भी मिला है। दूसरे संदूक में कुछ बर्तन मिले हैं जो चांदी के हो सकते हैं। ये बर्तन मिलने के बाद कमेटी के सदस्यों ने एएसआई के अधिकारियों से फोन पर बात की।
सभी वस्तुओं को सुरक्षित रखा गया। शाम होते-होते पहले दिन की जांच खत्म हुई। समिति के सदस्यों ने गेट को फिर से बंद कर दिया। आज जो कुछ भी हुआ उसकी रिपोर्ट समिति के चेयरमैन जस्टिस अशोक कुमार को सौंपी जाएगी। अब वह तय करेंगे कि फिर कब तहखाने को खोलकर खजाने की जांच की जाएगी।
सुरक्षा और तैयारियां
जब बंद तहखाने का दरवाजा खोला गया तब वहां सिविल जज, दो एसडीएम, एसपी सिटी, सीओ सदर और सीओ वृंदावन मौजूद थे। वन विभाग की टीम और सत्तर से अधिक पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित हाई पावर कमिटी के सदस्य भी वहां उपस्थित थे। तहखाने को खोलने से पहले कुछ केमिकल मंगाए गए और उनका छिड़काव किया गया।
बंद तहखाने के अंदर जहरीले सांप, चूहे, बिच्छू और अन्य जीवों की आशंका के चलते वन विभाग की टीम स्नेक कैचर लेकर पहुंची थी। फायर इक्विपमेंट मशीन और ऑक्सीजन मशीन की व्यवस्था भी की गई थी। प्रशासन ने खजाने की वीडियोग्राफी करवाई है ताकि हर गतिविधि का दस्तावेजीकरण किया जा सके।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बांके बिहारी मंदिर का तहखाना 1971 में बंद किया गया था। उससे पहले कीमती आभूषणों को सुरक्षा के लिए बैंक में जमा करा दिया गया था। आभूषणों को सूचीबद्ध कर एक बक्से में सील कर मथुरा के भूतेश्वर में स्टेट बैंक के लॉकर में रख दिया गया था। मंदिर में ठाकुर जी की दायीं ओर का कक्ष पिछले पांच दशक से बंद था।
पिछले दिनों मंदिर में दर्शन के दौरान अनियमितता की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट में मामला गया। अगस्त में सर्वोच्च न्यायालय ने एक कमिटी बनाई। कमेटी के चेयरमैन ने जिलाधिकारी से बात कर एक अक्टूबर को मंदिर के बंद तहखाने को खुलवाने का आदेश दिया। सत्रह अक्टूबर को कमेटी के सचिव और डीएम ने निर्णय लिया कि अठारह अक्टूबर को धनतेरस के दिन मंदिर का खजाना खोला जाएगा।
पुजारियों का विरोध
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी और सेवायत तहखानों के खोले जाने का विरोध कर रहे हैं। वे इसे परंपरा का उल्लंघन और मर्यादा के विरुद्ध बता रहे हैं। मंदिर के सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी का कहना है कि अगर तहखानों से कुछ निकला तो वह गोस्वामियों का होगा। जिस तहखाने के खोलने का विरोध हो रहा है वह 1971 में पहली बार खुला था।
उस समय वहां ठाकुरजी के बर्तन और दूसरे सामान रखे जाते थे। लेकिन उस समय कुछ अनियमितताएं मिलीं जिसके बाद उस कक्ष को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था। तब से वह सील ही था। पुजारियों का मानना है कि तहखाने का खोलना मंदिर की परंपराओं के विपरीत है।
