शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

बैंक विलय: सरकार तैयार कर रही है मेगा मर्जर प्लान, इन बैंकों का हो सकता है विलय

Share

National News: केंद्र सरकार देश के बैंकिंग क्षेत्र की तस्वीर बदलने के लिए एक बड़े पुनर्गठन की तैयारी कर रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार एक मेगा मर्जर प्लान पर काम चल रहा है जिसके तहत कई छोटे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बड़े बैंकों में मिलाया जा सकता है। इस योजना का लक्ष्य कम लेकिन अधिक मजबूत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक तैयार करना है। यह कदम भारत के आर्थिक विस्तार के अगले चरण को समर्थन देने के लिए उठाया जा रहा है ।

इस पुनर्गठन योजना के अंतर्गत इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे छोटे बैंकों का विलय भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बड़े बैंकों में किया जा सकता है । रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रस्ताव पर वित्त वर्ष 2027 तक आंतरिक चर्चा जारी रहने की उम्मीद है। सरकार इसी वित्त वर्ष में इसके लिए एक रोडमैप को अंतिम रूप देना चाहती है ।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मिलेगी मजबूती

सरकार कामुख्य उद्देश्य दुनिया के टॉप 100 सबसे शक्तिशाली बैंकों में भारतीय सार्वजनिक बैंकों को शामिल कराना है । इस मर्जर से बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत होगी जिससे बड़े पैमाने पर ऋण विकास को समर्थन मिलेगा। साथ ही परिचालन दक्षता में सुधार होगा और प्रशासनिक दोहराव कम होगा। इससे बैंक निजी बैंकों और फिनटेक कंपनियों के साथ बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे ।

यह भी पढ़ें:  Haryana News: भारी पुलिस फोर्स के बीच दलित दूल्हों ने की घुड़चढ़ी, छावनी बना महेंद्रगढ़ का यह गांव

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मिलेगा लाभ

मर्जर केबाद बनने वाले बड़े बैंक उच्च-टिकट वाली बुनियादी ढांचा और विनिर्माण परियोजनाओं के लिए ऋण देने में अधिक सक्षम होंगे। इन बैंकों के पास अधिक धनराशि उपलब्ध होगी जिसका उपयोग वह अधिक ऋण वितरण में कर सकेंगे। इससे देश के आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद है। विलय से बैंकों के परिचालन खर्च में कमी आएगी और कार्यक्षमता बढ़ेगी।

नीति आयोग की सिफारिश पर आधारित है योजना

यह मौजूदायोजना नीति आयोग की पिछली सिफारिशों पर आधारित है जिसे वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार ढाला गया है । नीति आयोग ने पहले सुझाव दिया था कि एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक जैसे कुछ बड़े बैंकों को ही पूर्ण सरकारी नियंत्रण में रहना चाहिए। वहीं आईओबी और सीबीआई जैसे छोटे बैंकों के निजीकरण, पुनर्गठन या विलय पर विचार किया जा सकता है ।

यह भी पढ़ें:  बिहार चुनाव: गोपाल मंडल ने सीएम आवास के बाहर डाला डेरा, बोले- 'टिकट लिए बिना नहीं हटेंगे'

पिछले विलयों ने दिखाया था सकारात्मक नतीजा

सरकार ने2017 और 2020 के बीच बैंकों के विलय का एक बड़ा दौर चलाया था। इस दौरान सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटाकर 12 कर दी गई थी । इसमें ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पीएनबी में विलय किया गया था। सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में और आंध्र बैंक व कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय हुआ था । इन विलयों का उद्देश्य परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार, शासन को मजबूत करना और पैमाने की दक्षता लाना था।

अगले वित्तीय वर्ष में हो सकता है कोई फैसला

इस प्रस्ताव पर कैबिनेट स्तर पर चर्चाका एक रिकॉर्ड बनाया जाएगा और फिर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इसकी जांच की जाएगी । लंबी चर्चा के बाद सरकार अगले वित्तीय वर्ष में इन बैंकों के विलय पर कोई फैसला ले सकती है। हालांकि सरकार की तरफ से अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है और यह प्रस्ताव अभी आंतरिक विचार-विमर्श के चरण में है ।

Read more

Related News