Business News: भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने सरकारी बैंकों के विलय का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में और विलय की आवश्यकता है। शेट्टी ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। उनके अनुसार अभी भी कई छोटे बैंक मौजूद हैं।
शेट्टी ने स्पष्ट किया कि विलय का एक और दौर आना चाहिए। इससे बैंकिंग क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। भारत सरकार सार्वजनिक बैंकिंग क्षेत्र में बड़े सुधार की योजना बना रही है। इसके तहत कई छोटे बैंकों को बड़े बैंकों में मिलाया जाएगा।
विलय की योजना
सरकार की योजना इंडियन ओवरसीज बैंक को बड़े बैंक में मिलाने की है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया भी विलय की प्रक्रिया में शामिल होगा। बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र भी इस योजना का हिस्सा हैं। इन सभी बैंकों का विलय बड़े सार्वजनिक बैंकों के साथ प्रस्तावित है।
यह मेगा विलय योजना ऋण विस्तार को समर्थन देगी। वित्तीय क्षेत्र के सुधारों को गति मिलेगी। छोटे ऋणदाताओं का पंजाब नेशनल बैंक के साथ विलय हो सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा और एसबीआई भी विलय प्रक्रिया में शामिल होंगे।
प्रस्ताव की प्रक्रिया
इस बड़े विलय प्रस्ताव पर कैबिनेट स्तर पर चर्चा होगी। अधिकारी इस प्रस्ताव को तैयार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इसकी जांच की जाएगी। सरकार बैंकिंग क्षेत्र में दक्षता बढ़ाना चाहती है। विलय से संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।
विलय के लिए नए प्रयास शुरू हुए हैं। यह नीति आयोग के पहले के सुझाव से अलग है। नीति आयोग ने छोटे बैंकों की निजी बिक्री का सुझाव दिया था। अब सरकार विलय को प्राथमिकता दे रही है। इससे बैंकिंग संरचना मजबूत होगी।
नीति आयोग की सिफारिश
नीति आयोग ने पहले कुछ बड़े बैंकों को सरकारी नियंत्रण में रखने की सलाह दी थी। एसबीआई, पीएनबी, बीओबी और केनरा बैंक इस सूची में शामिल थे। शेष सार्वजनिक बैंकों के लिए विलय या निजीकरण का सुझाव था। सरकारी हिस्सेदारी कम करने का विकल्प भी दिया गया था।
अब सरकार की विलय योजना इस सुझाव से अलग दिशा में बढ़ रही है। विलय से बैंकों का आकार बढ़ेगा और वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। यह कदम भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को नई दिशा देगा। सरकार जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय ले सकती है।
