Bangladesh News: बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मानहादी की मौत के बाद हालात फिर से बेकाबू हो गए हैं। पूरे देश में बांग्लादेश हिंसा की आग भड़क उठी है। कट्टरपंथियों की भीड़ ने अलग-अलग जगहों पर आगजनी और लूटपाट शुरू कर दी है। इस हिंसा का सबसे ज्यादा असर हिंदुओं और भारतीय प्रतिष्ठानों पर पड़ा है। चटगांव में भारतीय उच्च आयोग पर पथराव किया गया और बोतलें फेंकी गईं। प्रदर्शनकारी भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं।
हिंदुओं और भारतीय आयोग पर हमले
बांग्लादेश हिंसा की आड़ में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। उग्र भीड़ मीडिया दफ्तरों और शेख हसीना समर्थकों के घरों को फूंक रही है। इसी बीच एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। दीपपू चंद्र नाम के एक हिंदू युवक को भीड़ ने बेरहमी से पीटा। इसके बाद उसे पेड़ से लटकाकर जिंदा जला दिया गया। यह घटना देश में कानून व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है।
कौन था शरीफ उस्मानहादी?
उस्मानहादी वही छात्र नेता था, जिसने जुलाई-अगस्त में शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया था। उसने ‘इंकलाब मंच’ नामक संगठन बनाया था। उस पर पाकिस्तान के इशारे पर तख्तापलट कराने के आरोप लगते रहे हैं। उस्मानहादी की भूमिका ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का विवादित नक्शा बनाने में भी थी। इस नक्शे में भारत के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश में दिखाया गया था।
यूनुस सरकार के दावों पर भारत का जवाब
मोहम्मद यूनुस की सरकार और कट्टरपंथी गुट दावा कर रहे हैं कि हादी के हत्यारे भारत भाग गए हैं। हालांकि, उन्होंने इस दावे का कोई भी सबूत पेश नहीं किया है। भारत ने बांग्लादेशी नेताओं के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उस्मानहादी की हत्या के बाद से ही कट्टरपंथी गुट भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं।
अमेरिका के दोहरे रवैये पर सवाल
इस पूरे मामले में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। एक तरफ हिंदू युवक की बर्बर हत्या पर अमेरिका ने चुप्पी साध रखी है। वहीं, उस्मानहादी की मौत पर अमेरिकी दूतावास ने गहरा दुख जताया है। दूतावास ने उसके जनाजे में शामिल होने की बात भी कही है। अमेरिका का यह दोहरा रवैया भारतीयों को रास नहीं आ रहा है। एक तरफ लोकतंत्र की बातें और दूसरी तरफ हिंसा करने वालों के लिए हमदर्दी, यह अमेरिका की नीति पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
