International News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के करीबी सहयोगी ने एक बड़ा खुलासा किया है। पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने दावा किया कि हसीना की सरकार के खिलाफ अमेरिकी एजेंसियों ने साजिश रची। उन्होंने यूएसएआईडी और क्लिंटन परिवार पर आरोप लगाए। चौधरी ने यह बात रशिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कही।
चौधरी के अनुसार अमेरिकी खुफिया तंत्र ने 2018 से ही साजिश शुरू कर दी थी। उन्होंने कई गैर सरकारी संगठनों को इसके लिए फंड किया। यूएसएआईडी और इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट जैसे संगठन शामिल थे। इन संगठनों ने हसीना सरकार के खिलाफ माहौल बनाया। इसका उद्देश्य सत्ता परिवर्तन करना था।
यूएसएआईडी फंड का गायब होना
चौधरी ने यूएसएआईडी के फंड को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि करोड़ों डॉलर का फंड गायब हो गया। इस पैसे का इस्तेमाल सत्ता परिवर्तन की साजिश में किया गया। यह फंड गुप्त रूप से एनजीओ को दिया जा रहा था। अमेरिकी एजेंसियां खुले तौर पर सामने नहीं आईं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में फैली अराजकता सुनियोजित थी। यह धीरे-धीरे बड़े दंगों में बदल गई। इन हिंसक घटनाओं के कारण सत्ता परिवर्तन हुआ। चौधरी के मुताबिक यह युवाओं का सहज विद्रोह नहीं था। यह पश्चिमी ताकतों द्वारा फंडेड षड्यंत्र था।
मोहम्मद यूनुस पर लगे आरोप
चौधरी ने वर्तमान अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यूनुस का अमेरिका से लंबे समय से संबंध रहा है। सत्ता परिवर्तन के बाद यूनुस सरकार की नीतियां पाकिस्तान के नजदीक हो गई हैं। यही पाकिस्तान 1971 में बांग्लादेश में नरसंहार के आरोपी रहे हैं।
अगस्त 2024 में नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। यह प्रदर्शन कई हफ्तों तक चला और हिंसक रूप ले लिया। इस हिंसा में 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई। देश भर में अराजकता फैल गई। इसके बाद हसीना सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी।
एक साल बाद सामने आए आरोप
शेख हसीना के सत्ता से नाटकीय पतन के एक साल बाद यह आरोप सामने आए हैं। चौधरी का मानना है कि यह पूरी घटना सूक्ष्म रूप से नियोजित थी। अमेरिकी एजेंसियों ने गुप्त रूप से कार्य किया। उन्होंने स्थानीय संगठनों को फंडिंग की। इससे देश में अस्थिरता का माहौल बना।
चौधरी के इन आरोपों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू कर दी है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकार ने अभी तक इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अमेरिकी दूतावास से भी अभी कोई बयान नहीं आया है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया इन खुलासों पर नजर बनाए हुए है।
