Bangladesh News: पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अगले 24 घंटे बेहद भारी पड़ने वाले हैं। राजधानी ढाका में एक बम धमाके के बाद दहशत का माहौल है। अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों ने अपने नागरिकों को अलर्ट करते हुए दूतावास बंद कर दिए हैं। राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा की आशंका के बीच पूरी दुनिया की नजरें ढाका पर टिकी हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या मोहम्मद युनूस की सरकार गिर जाएगी?
ढाका में बम धमाका और विदेशी दूतावासों का अलर्ट
ढाका के मोगबाजार इलाके में शाम 7 बजे एक बम धमाका हुआ। फ्लाईओवर से फेंके गए इस बम की चपेट में आकर एक 19 वर्षीय युवक की मौत हो गई। घटनास्थल एक चर्च के पास है, जिससे धार्मिक स्थलों पर हमले की आशंका बढ़ गई है। इस घटना के बाद अमेरिका ने अपने नागरिकों को बांग्लादेश में भीड़ से दूर रहने को कहा है। जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया ने 25 दिसंबर को अपने दूतावास बंद रखने का फैसला किया है। कनाडा ने भी कड़ी चेतावनी जारी की है।
तारिक रहमान की वतन वापसी से बढ़ा सियासी पारा
बांग्लादेश की राजनीति में 25 दिसंबर का दिन ऐतिहासिक होने वाला है। बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद लंदन से ढाका लौट रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक की वापसी को मोहम्मद युनूस की सत्ता के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। उनके स्वागत के लिए बीएनपी ने लाखों समर्थकों को जुटाने की तैयारी की है। इसे एक बड़े शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
सड़कों पर उतरेंगे कट्टरपंथी, हिंदुओं पर बढ़ा खतरा
ढाका में छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के विरोध में कल कई संगठन प्रदर्शन करेंगे। ‘इंकलाब मंच’ और ‘नेशनल सिटीजन पार्टी’ ने हत्यारे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन का ऐलान किया है। इस बीच, कट्टरपंथियों ने हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। चटगांव में हिंदू परिवारों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। पिछले 22 दिनों में 11 हिंदुओं की हत्या ने बांग्लादेश के हालात को और चिंताजनक बना दिया है।
अकेले पड़े मोहम्मद युनूस
मौजूदा अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनूस चौतरफा घिर चुके हैं। जिन छात्र नेताओं ने उन्हें सत्ता सौंपी थी, अब वे ही चुनाव में देरी के कारण उनके खिलाफ हो गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। तारिक रहमान की वापसी और कट्टरपंथियों के उग्र तेवरों के बीच युनूस प्रशासन बेबस नजर आ रहा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की सक्रियता ने अमेरिका की चिंता और बढ़ा दी है।
