International News: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है। ट्रिब्यूनल ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी पाया है। यह फैसला पिछले साल हुए छात्र आंदोलन के दौरान हिंसक कार्रवाई के मामले में आया है।
तीन सदस्यीय पीठ ने 453 पन्नों का फैसला पढ़ा। न्यायमूर्ति गोलाम मुर्तजा मजूमदर की अगुवाई वाली पीठ ने हसीना को तीन आरोपों में दोषी ठहराया। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल को भी मौत की सजा मिली। पूर्व पुलिस प्रमुख को पांच साल की जेल हुई।
मुख्य आरोप और सजा
शेख हसीना पर कुल पांच आरोप लगे थे। ट्रिब्यूनल ने उन्हें तीन आरोपों में दोषी पाया। पहला आरोप उकसाने और हत्याएं रोकने में विफल रहने का था। दूसरा आरोप हेलिकॉप्टर और ड्रोन से प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश देने का था।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि हसीना ने विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया। उन पर आरोप था कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को “हटाने” का आदेश दिया था। अदालत ने इस आरोप को सही पाया। इसी के आधार पर मौत की सजा सुनाई गई।
घटना की पृष्ठभूमि
यह मामला जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन से जुड़ा है। छात्र सरकारी नौकरियों में कोटा व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। बाद में यह आंदोलन शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हो गया। सुरक्षा बलों की कार्रवाई में संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 1,400 लोग मारे गए।
हिंसक दमन के बाद हसीना को अगस्त 2024 में सत्ता छोड़नी पड़ी। वह भारत की राजधानी दिल्ली में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही हैं। उन्होंने अदालत में पेश होने से इनकार कर दिया था। उनका मानना है कि यह मुकदमा राजनीतिक रूप से प्रेरित है।
अन्य आरोपियों को सजा
पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल को भी मौत की सजा सुनाई गई। वह अभी फरार चल रहे हैं। पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन को पांच साल की जेल हुई। उन्होंने अपने खिलाफ गवाही दी थी और राजसाक्षी बने थे।
अदालत ने हसीना और कमाल की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया। यह संपत्ति अब राज्य के पास चली जाएगी। फैसला सुनाने में अदालत को ढाई घंटे लगे। फैसला सुनाते समय अदालत में मौजूद पीड़ितों के परिवारों ने खुशी जताई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
शेख हसीना ने फैसले को “पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित” बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला एक ऐसी अदालत ने दिया है जिसे गैर-निर्वाचित सरकार ने गठित किया था। उनकी पार्टी अवामी लीग ने देशव्यापी बंद का आह्वान किया है।
विरोधी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने फैसले का स्वागत किया। उनका कहना है कि यह न्याय की दिशा में एक कदम है। पीड़ित परिवारों को इससे कुछ सांत्वना मिलेगी। देश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। आशंका है कि इस फैसले के बाद हिंसा भड़क सकती है।
भविष्य की प्रक्रिया
शेख हसीना भी भारत में निर्वासन में हैं। बांग्लादेश ने उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। भारत ने अब तक इस अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। ट्रिब्यूनल के नियमों के अनुसार हसीना 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करके अपील कर सकती हैं।
इस फैसले ने बांग्लादेश की राजनीति में नई उथल-पुथल पैदा कर दी है। फरवरी में होने वाले चुनावों पर इसका गहरा असर पड़ेगा। देश का राजनीतिक भविष्य अब अनिश्चितता में है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है।
