Uttar Pradesh News: योगगुरु बाबा रामदेव ने वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज पर जगदगुरु रामभद्राचार्य की टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया दी। एबीपी न्यूज को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि संतों को निंदा और द्वेष से बचना चाहिए। रामदेव ने चेतावनी दी कि आपसी विवादों से देश विरोधी ताकतें मजबूत होंगी। यह बयान रामभद्राचार्य के एक पॉडकास्ट के बाद शुरू हुए विवाद के संदर्भ में आया।
रामदेव का संतों को संदेश
बाबा रामदेव ने कहा कि जिनके नाम के आगे जगदगुरु या शंकराचार्य जैसे सम्मानजनक शब्द जुड़े हों, उन्हें दूसरों की निंदा से बचना चाहिए। उन्होंने एबीपी न्यूज की पत्रकार चित्रा त्रिपाठी से बातचीत में जोर दिया कि ओछी बातें करना किसी के लिए भी उचित नहीं है, खासकर संतों के लिए। रामदेव ने सभी संतों से एकता बनाए रखने की अपील की।
आपसी विवाद का ऐतिहासिक उदाहरण
रामदेव ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि भारत में मुट्ठी भर मुसलमान और अंग्रेजों ने राज किया क्योंकि देश एकजुट नहीं था। उन्होंने बताया कि 1608 में ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज भारत आया, और धीरे-धीरे एक कंपनी ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया। रामदेव ने चेताया कि धार्मिक और राजनीतिक झगड़े देश को कमजोर करेंगे।
क्या है विवाद की जड़?
जगदगुरु रामभद्राचार्य ने एक पॉडकास्ट में प्रेमानंद महाराज पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि अगर प्रेमानंद संस्कृत का एक अक्षर बोल दें या उनके श्लोकों का अर्थ समझा दें, तो वे उन्हें चमत्कारी मान लेंगे। इस बयान से विवाद शुरू हुआ, जिसके बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई।
रामभद्राचार्य की सफाई
विवाद बढ़ने पर रामभद्राचार्य ने अपनी टिप्पणी पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनके बयान में कोई अभद्रता नहीं थी। रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज का सम्मान करने की बात कही और बताया कि वे उन्हें पुत्र की तरह अपनाएंगे। उन्होंने इस मुद्दे को शांत करने की कोशिश की।
रामदेव की एकता की अपील
बाबा रामदेव ने सभी संतों से आपसी मतभेद भुलाकर एकता बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि धार्मिक और आर्थिक लड़ाई देश को कमजोर करती है। रामदेव ने ब्रिटिश शासन का उदाहरण देते हुए बताया कि बंटवारा भारत के लिए हमेशा नुकसानदायक रहा है। उन्होंने संतों से देशहित में एकजुट रहने को कहा।
