शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

बीएड सीटें खाली: हिमाचल विश्वविद्यालय को खाली सीटों से चार करोड़ का झटका, जानें कितनी सीटें है खाली

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। विश्वविद्यालय के अधीन संचालित बीएड कॉलेजों में 2801 सीटें खाली रह गई हैं। समय पर काउंसिलिंग न होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इन खाली सीटों के चलते विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपये का वित्तीय नुकसान होने की आशंका है।

विश्वविद्यालय प्रत्येक बीएड विद्यार्थी से 7080 रुपये लेवी शुल्क लेता है। इसके अलावा प्रत्येक सेमेस्टर की परीक्षा के लिए 1300 रुपये शुल्क लिया जाता है। दो वर्षीय पाठ्यक्रम में चार सेमेस्टर होते हैं। 54 निजी बीएड कॉलेजों में खाली सीटों के कारण लगभग चार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

सरदार पटेल विश्वविद्यालय की भी खराब स्थिति

मंडी स्थित सरदार पटेल विश्वविद्यालय की स्थिति भी बेहतर नहीं है। इस विश्वविद्यालय के 17 बीएड कॉलेजों में लगभग पांच सौ सीटें रिक्त हैं। दोनों विश्वविद्यालयों को बीएड पाठ्यक्रम से भारी आय होती थी। समय पर काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी न होने से यह नुकसान हुआ है।

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एनसीटीई नियमों के अनुसार प्रवेश परीक्षा में छूट नहीं दी गई। आवश्यक शैक्षणिक योग्यता पर प्रवेश की अधिसूचना भी समय पर जारी नहीं हुई। इस कारण दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं।

विभिन्न पाठ्यक्रमों में अलग-अलग नियम

विश्वविद्यालय प्रशासन ने एमसीए और अन्य पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा में छूट दे दी है। 26 जुलाई 2025 को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई। लेकिन बीएड पाठ्यक्रम के लिए यह छूट नहीं दी गई है। बीएड एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस भेदभाव पर आपत्ति जताई है।

उनका कहना है कि विश्वविद्यालय विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए अलग-अलग मापदंड अपना रहा है। बीएड के लिए भी प्रवेश परीक्षा में छूट देकर प्रवेश प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए। इस विलंब से हज़ारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।

छात्रवृत्ति और रोजगार पर खतरा

प्रवेश प्रक्रिया में देरी के कारण एससी और एसटी छात्र छात्रवृत्ति से वंचित रह सकते हैं। इन 71 कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के रोजगार पर भी संकट मंडरा रहा है। समय रहते प्रवेश प्रक्रिया पूरी न होने से यह समस्या उत्पन्न हुई है।

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बीएड एसोसिएशन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि देरी केवल आर्थिक नुकसान का कारण नहीं बनेगी। इससे शैक्षणिक सत्र भी प्रभावित होगा और छात्रों का पूरा साल बर्बाद हो जाएगा।

दोनों विश्वविद्यालयों की अलग नीतियां

हिमाचल प्रदेश के दोनों विश्वविद्यालयों ने एक ही पाठ्यक्रम के लिए अलग-अलग नीतियां बनाई हैं। मंडी विश्वविद्यालय ने शून्य अंक वाले छात्रों को भी प्रवेश की अनुमति दे दी है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने केवल दस प्रतिशत अंकों की छूट दी है।

इस अलग नीति का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिख रहा है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में सीटें भरने की प्रक्रिया अभी भी धीमी चल रही है। शैक्षणिक सत्र शुरू होने में देरी के कारण छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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