Uttar Pradesh News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की जेल से रिहाई का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सीतापुर जेल को उनके खिलाफ चल रहे 72 मामलों में रिहाई परवाने प्राप्त हो गए हैं। जेल अधीक्षक ने बताया कि सोमवार को 19 नए परवाने प्राप्त हुए हैं। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंगलवार को उनकी रिहाई होने की संभावना है।
आजम खान पिछले 23 महीने से सीतापुर जेल में बंद हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में उन्हें कुछ मामलों में जमानत प्रदान की थी। इसके बाद विभिन्न अदालतों से रिहाई परवाने जारी किए गए हैं। शुक्रवार को 53 मामलों में परवाने जारी हो चुके थे।
कानूनी प्रक्रिया और अदालती आदेश
आजम खान के वकीलों ने उच्च न्यायालय के आदेशों को संबंधित अदालतों में पेश किया था। एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने जमानत याचिकाओं का सत्यापन कराया था। पुलिस और राजस्व प्रशासन ने सोमवार को सत्यापन रिपोर्ट अदालत में पेश की। इसके बाद अदालत ने 19 नए रिहाई परवाने जारी किए।
डूंगरपुर मामले में आजम खान को दस साल की सजा हुई थी। उच्च न्यायालय ने इस मामले में भी उन्हें जमानत प्रदान की थी। सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद जेल प्रशासन रिहाई की प्रक्रिया शुरू करेगा। अधिकारियों का कहना है कि कोई कानूनी अड़चन नहीं आई तो रिहाई संभव होगी।
मामलों की पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
आजम खान के खिलाफ लूट-डकैती और धोखाधड़ी सहित कुल 72 मामले दर्ज हैं। इनमें से अधिकांश मामले रामपुर जिले से संबंधित हैं। क्वालिटी बार प्रकरण समेत कई मामलों में जांच अभी भी जारी है। पिछले दो वर्षों में विभिन्न अदालतों ने इन मामलों में सुनवाई की है।
सीतापुर जेल के अधीक्षक सुरेश कुमार सिंह ने पुष्टि की कि सभी परवाने प्राप्त हो गए हैं। जेल प्रशासन अब रिहाई की तैयारियों में जुट गया है। राजनीतिक हलकों में इस विकास को लेकर काफी चर्चा है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता रिहाई का इंतजार कर रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य की संभावनाएं
आजम खान की रिहाई को लेकर राजनीतिक दलों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई हैं। समाजवादी पार्टी के नेता इस विकास से उत्साहित हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने जेल के बाहर इकट्ठा होना शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों ने अभी तक इस मामले पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजम खान की रिहाई से उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। अगले विधानसभा चुनावों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। पार्टी के भीतर उनकी वापसी से संगठन को मजबूती मिलने की उम्मीद है। हालांकि कानूनी लड़ाई अभी भी जारी रहेगी।
