New Delhi News: भारत में 25 दिसंबर का दिन बेहद खास है. इस दिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री Atal Bihari Vajpayee की जयंती मनाई जाती है. पूरा देश इस दिन को ‘सुशासन दिवस’ (Good Governance Day) के रूप में मनाता है. भारत रत्न से सम्मानित अटल जी ने देश की राजनीति को नई दिशा दी थी. उनके विचार आज भी करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
सुशासन दिवस के रूप में मनाते हैं जन्मदिन
Atal Bihari Vajpayee का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था. साल 2014 में सरकार ने उनके जन्मदिन को सुशासन दिवस घोषित किया था. वे भारत के 10वें प्रधानमंत्री थे. उन्होंने देश के विकास में अहम भूमिका निभाई. 16 अगस्त 2018 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. भले ही वे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके काम और विचार हमेशा अमर रहेंगे.
जीवन बदलने वाले अटल विचार
Atal Bihari Vajpayee एक बेहतरीन वक्ता और कवि भी थे. उनका कहना था, ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता.’ उन्होंने जीवन संघर्ष पर कहा था कि संघर्ष से भागना नहीं चाहिए. संघर्ष ही जीवन की असली मिठास है. उनका एक और मशहूर विचार था, ‘आप दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं.’ यह बात उन्होंने कूटनीति के संदर्भ में कही थी.
लोकतंत्र पर कही थी बड़ी बात
लोकतंत्र को लेकर Atal Bihari Vajpayee की सोच बहुत स्पष्ट थी. संसद में दिया गया उनका भाषण आज भी गूंजता है. उन्होंने कहा था, ‘सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगडेंगी, मगर ये देश रहना चाहिए. इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए.’ उनका मानना था कि मैं वादे लेकर नहीं, बल्कि इरादे लेकर आया हूं.
हार-जीत और देशभक्ति के मायने
Atal Bihari Vajpayee हार और जीत को जीवन का हिस्सा मानते थे. उनका कहना था कि हमें दोनों को समानता से देखना चाहिए. देशभक्ति पर उनका विचार था कि यह सिर्फ प्रेम नहीं, बल्कि देश के प्रति जिम्मेदारी भी है. उन्होंने हमेशा लोगों के हक की लड़ाई लड़ी. यही कारण है कि वे भारत के सबसे लोकप्रिय नेताओं में गिने जाते हैं.
