Assam News: असम के तिनसुकिया जिले में एक आर्मी कैंप पर ग्रेनेड से हमला हुआ है। इस घटना में तीन सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। यह हमला काकोपाथर इलाके में स्थित भारतीय सेना की 19 ग्रेनेडियर्स यूनिट के कैंप पर हुआ। गुरुवार देर रात हुई इस घटना में करीब एक घंटे तक गोलीबारी चली। कई ग्रेनेड विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई।
घटना आधी रात के आसपास की है जब अज्ञात हमलावरों ने आर्मी कैंप को निशाना बनाया। हमलावरों ने कैंप के अंदर ग्रेनेड फेंकने की कोशिश की। घटना के बाद घायल जवानों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस और सुरक्षा बलों ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।
हमले की विधि और समय
हमलावरों ने सटीक योजना के तहत रात के अंधेरे का फायदा उठाया। आधी रात के करीब जब ग्रेनेड फेंके गए तो कैंप और आसपास के इलाके में भगदड़ मच गई। ग्रेनेड विस्फोटों के बाद हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी। गोलीबारी लगभग एक घंटे तक चलती रही। स्थानीय निवासियों ने लगातार विस्फोटों और गोलियों की आवाजें सुनीं।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार हमलावर बाइक सवार थे और दो लोगों ने कैंप के अंदर ग्रेनेड फेंकने की कोशिश की। हालांकि ग्रेनेड कैंप के बाहर गिर गया जिससे बड़ी तबाही टल गई। इससे पहले नवंबर 2023 में भी तिनसुकिया जिले में एक आर्मी कैंप के बाहर ग्रेनेड ब्लास्ट हुआ था लेकिन उस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था .
पिछले हमलों का इतिहास
तिनसुकिया जिला उग्रवादी हमलों के लिए संवेदनशील रहा है। अक्तूबर 2025 में ही इसी जिले के पेंगेरी इलाके में उल्फा आतंकियों ने सेना के काफिले पर हमला किया था . उस हमले में तीन जवान शहीद हो गए थे और चार घायल हो गए थे। आतंकवादियों ने सड़क पर इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस रखा था और विस्फोट के बाद गोलीबारी की थी .
उत्तर पूर्व के इलाके में असम राइफल्स के जवानों को भी निशाना बनाया जाता रहा है। मणिपुर में जुलाई 2019 में असम राइफल्स के तीन जवान शहीद हुए थे और पांच जख्मी हुए थे . उग्रवादियों ने आईईडी ब्लास्ट के बाद फायरिंग की थी। यह हमला भारत-म्यांमार सीमा से करीब तीन किलोमीटर दूर हुआ था।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई
हमले के बाद सुरक्षा बलों ने घटनास्थल का घेराव कर लिया है। संदिग्ध हमलावरों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और सीसीटीवी फुटेज एकत्र कर रही है। अधिकारी हमले में इस्तेमाल हथियारों और विस्फोटकों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।
सेना ने घटना की जांच शुरू कर दी है और हमलावरों का पता लगाने के लिए विशेष दल गठित किए हैं। स्थानीय प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं। लोगों से अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलने की अपील की गई है। अधिकारी किसी भी अनहोनी की स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसी साल अक्तूबर में हुए हमले की कड़ी निंदा की थी . उन्होंने हमलावरों को सख्त सजा दिलाने का भरोसा दिया था। इस तरह की घटनाओं पर राजनीतिक दलों की ओर से त्वरित प्रतिक्रिया आती रही है। सभी दल सुरक्षा बलों के साथ एकजुटता दिखाते हैं।
सरकार उग्रवाद रोधी कार्यवाइयों को लगातार मजबूत कर रही है। सैन्य-नागरिक सहयोग बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। ऊपरी असम के लाईपुली आर्मी कैम्प में हाल ही में एक संयुक्त अभ्यास भी आयोजित किया गया था . इस तरह के कार्यक्रम सुरक्षा बलों और स्थानीय communities के बीच तालमेल बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं।
क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियां
तिनसुकिया जिला भौगोलिक रूप से संवेदनशील इलाके में आता है। यह क्षेत्र उग्रवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता रहा है। विभिन्न आतंकी संगठन यहां सक्रिय हैं और सुरक्षा बलों को निशाना बनाते रहते हैं। सेना के कैंपों पर हमले की यह घटना सुरक्षा व्यवस्था में और सुधार की जरूरत को रेखांकित करती है।
सुरक्षा एजेंसियां लगातार उग्रवाद रोधी अभियान चला रही हैं। संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। बावजूद इसके हमलावर कभी-कभी सुरक्षा बलों को चकमा देने में सफल हो जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय लोगों का सहयोग सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
