शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

सेब बागवानी: हिमाचल में वन भूमि पर से क्यों काटे जा रहे सेब के पेड़, जानें क्या है पूरा मामला

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर सेब बागवानी को लेकर हाईकोर्ट के आदेश ने किसानों में रोष पैदा कर दिया है। कोटखाई के चैथला गांव में फल से लदे सेब के पेड़ों को काटा जा रहा है, जिसे किसान अपनी आजीविका पर हमला बता रहे हैं। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर वन विभाग ने अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए यह कार्रवाई शुरू की है, लेकिन किसानों का कहना है कि ये बगीचे दशकों पुराने हैं।

अतिक्रमण का पुराना विवाद

1950 से 1980 तक हिमाचल में कई भूमिहीन लोगों को खेती के लिए ‘शामलात’ भूमि दी गई थी। 1980 में वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद यह भूमि वन भूमि घोषित हो गई। सही सीमांकन के अभाव में लोगों ने इस जमीन पर सेब बागवानी शुरू कर दी। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के अनुसार, प्रदेश में 57,000 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर 1.63 लाख अतिक्रमणकर्ताओं ने कब्जा किया है। अब तक 80,000 मामलों में से 10,000 का निपटारा हुआ है।

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हाईकोर्ट में कैसे पहुंचा मामला

2014 में जुब्बल के कृष्ण चंद्र सार्टा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में प्रभावशाली लोगों ने 2,800 बीघा वन भूमि पर सेब के बगीचे लगा लिए। उन्होंने बिजली और पानी के कनेक्शन के साथ स्थायी ढांचे बनाने का भी आरोप लगाया। हाईकोर्ट ने 2 जुलाई 2025 को आदेश दिया कि सभी अतिक्रमित वन भूमि से सेब के पेड़ हटाए जाएं और लागत अतिक्रमणकर्ताओं से वसूली जाए। कोटखाई और कुमारसैन में अब तक करीब 3,800 पेड़ काटे जा चुके हैं।

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किसानों का दर्द और विरोध

किसानों का कहना है कि ये बगीचे उनकी मेहनत और आजीविका का आधार हैं। चैथला गांव में 40-50 साल पुराने सेब के पेड़, जो प्रति मौसम में लाखों रुपये की फसल देते हैं, काटे जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश किसान सभा और सेब उत्पादक संघ ने इसे किसान विरोधी बताते हुए 29 जुलाई को शिमला में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। किसानों ने मांग की है कि फसल कटाई तक कार्रवाई रोकी जाए और भूमि सीमांकन स्पष्ट किया जाए।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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