Shimla News: हिमाचल प्रदेश के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सिरमौर जिले में एनएच-707 के निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा किया है। मंत्री ने धांधली की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। यह घोषणा उन्होंने सोमवार को शिमला में एक प्रेस वार्ता के दौरान की।
मंत्री ने दावा किया कि एनएचएआई आम लोगों की आवाज को दबाने का काम कर रही है। उनके अनुसार, एनएच-707 के निर्माण से स्थानीय लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस परियोजना में बिना necessary approvals के काम किया गया। गलत तरीके से ब्लास्टिंग और मलबा डंपिंग से मानसून में व्यापक विनाश हुआ।
नियमों के स्पष्ट उल्लंघन के आरोप
अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाया कि निर्माण में एफसीए नियमों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। कई स्थानों पर बिना अनुमति के कटिंग का कार्य शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि इन कार्यों के बिल बनाए गए और भुगतान भी किया गया। मंत्री ने इस पूरे मामले में निर्माण कंपनियों और अधिकारियों की मिलीभगत बताई। राज्य सरकार ने पूरी घटना की जांच का संकल्प लिया है।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी दोषी को बख्शेगी नहीं। उन्होंने जनता को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस मामले में हजारों शिकायतें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भेजी जा चुकी हैं। अब यह मामला फिर से केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखा जाएगा।
पूरे राज्य में समान शिकायतें
अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि ऐसी घटनाएं केवल सिरमौर तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने कांगड़ा के शाहपुर और कुल्लू-मनाली क्षेत्र में इसी तरह की शिकायतें का जिक्र किया। सिरमौर जिले में एनएचएआई के कार्यों के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हुई हैं। मंत्री के अनुसार, इन मामलों में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
प्रेस वार्ता में सिरमौर जिले के प्रभावित नागरिक नाथू राम चौहान भी मौजूद थे। उन्होंने गलत निर्माण प्रक्रियाओं के कारण हुए नुकसान का ब्योरा दिया। चौहान ने बताया कि कैसे उनके और अन्य कई लोगों के घरों और संपत्ति को नुकसान पहुंचा। इससे स्थानीय निवासियों की चिंताओं की गंभीरता स्पष्ट होती है।
मंत्री और एनएचएआई के बीच पिछला विवाद
यह पहली बार नहीं है जब मंत्री अनिरुद्ध सिंह एनएचएआई के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पिछले महीने शिमला के संजौली इलाके में एक पांच मंजिला इमारत गिर गई थी। इस घटना के बाद मंत्री पर एनएचएआई के एक अधिकारी पर हमला करने के आरोप लगे थे। उस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और पुलिस ने केस दर्ज किया था।
मंत्री के इन आरोपों ने हिमाचल प्रदेश में मूलढ़ांचा परियोजनाएं की निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों के बीच तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है। स्थानीय निवासी न्याय और उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इस मामले के और विकास की पूरी राज्यवासी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
