National News: अंडमान के पास समुद्री इलाके में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गई। भूकंप का केंद्र 90 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। यह भूकंप दोपहर बारह बजकर छह मिनट पर दर्ज किया गया।
फिलहाल भूकंप से हुए नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है। अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। भूकंप की गहराई अधिक होने के कारण इसके प्रभाव सीमित रहे। तटीय इलाकों में लोगों ने हल्के झटके महसूस किए।
भूकंप आने के कारण
हाल के दिनों में दुनिया भर में भूकंप की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। धरती के भीतर सात टेक्टोनिक प्लेट्स सक्रिय हैं। ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं। कभी-कभी इनमें टकराव या घर्षण होता है। इसी कारण धरती पर भूकंप की घटनाएं होती हैं।
भूकंप का सबसे अधिक प्रभाव आम जनजीवन पर पड़ता है। तेज भूकंप में मकान गिर जाते हैं। इमारतों के मलबे में दबकर लोगों की जान चली जाती है। बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान होता है। इससे आर्थिक क्षति भी बहुत होती है।
भारत में भूकंप जोन
भूगर्भ विशेषज्ञों के अनुसार भारत के 59 प्रतिशत भूभाग को भूकंप संवेदनशील माना जाता है। वैज्ञानिकों ने देश को चार भूकंप जोन में बांटा है। जोन-2 सबसे कम संवेदनशील है। जोन-5 सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है।
राजधानी दिल्ली जोन-4 में आती है। यहां सात से अधिक तीव्रता के भूकंप आ सकते हैं। हिमालय क्षेत्र और पूर्वोत्तर भारत में भूकंप का खतरा अधिक है। भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। इस कारण यह क्षेत्र संवेदनशील है।
रिक्टर स्केल पर तीव्रता का प्रभाव
चार से साढ़े चार तीव्रता के भूकंप में घर का सामान गिर सकता है। पांच से साढ़े पांच तीव्रता में भारी फर्नीचर हिलने लगता है। छह से साढ़े छह तीव्रता में इमारतों की नींव दरक सकती है। सात से साढ़े सात तीव्रता में इमारतें गिर जाती हैं।
आठ से साढ़े आठ तीव्रता में सुनामी का खतरा होता है। इससे भारी तबाही होती है। नौ या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप सबसे विनाशकारी होते हैं। ऐसे भूकंपों से बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान होता है।
भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग होता है। यह लॉगरिथमिक स्केल पर काम करता है। इसका मतलब है कि एक अंक की वृद्धि से तीव्रता दस गुना बढ़ जाती है। इसलिए छोटे अंतर का भी बड़ा प्रभाव होता है।
