World News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 33 वर्षों के बाद फिर से परमाणु हथियार परीक्षण शुरू करने की घोषणा की है। इस घोषणा ने वैश्विक स्तर पर नई बहस छेड़ दी है। परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयासों को इससे गंभीर चुनौती मिली है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस निर्णय पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
परमाणु हथियारों का इतिहास
अमेरिका दुनिया का पहला ऐसा देश बना जिसने युद्ध में परमाणु हथियारों का उपयोग किया। द्वितीय विश्वयुद्ध के अंतिम चरण में अमेरिका ने जापान पर दो परमाणु बम गिराए। 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और 9 अगस्त 1945 को नागासाकी शहर निशाना बने। इन हमलों में 1.5 लाख से 2.5 लाख लोगों की मौत हुई।
अधिकांश पीड़ित नागरिक थे। इन हमलों ने मानव इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ा। परमाणु हमलों के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद से ही दुनिया ने परमाणु हथियारों के विनाशकारी प्रभावों को समझा।
पहला परमाणु परीक्षण
अमेरिका ने दुनिया का पहला परमाणु बम परीक्षण 16 जुलाई 1945 को किया। यह परीक्षण न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में आयोजित हुआ। इसका कोड नेम “ट्रिनिटी टेस्ट” था। यह परीक्षण मैनहैटन प्रोजेक्ट का हिस्सा था। मैनहैटन प्रोजेक्ट एक गुप्त वैज्ञानिक कार्यक्रम था।
इस परियोजना का उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान परमाणु बम विकसित करना था। अमेरिकी सरकार ने इस परियोजना पर भारी धनराशि खर्च की। देश के शीर्ष वैज्ञानिकों ने इस परियोजना में भाग लिया। इसने परमाणु युग की शुरुआत की।
ओपनहाइमर फिल्म और ऐतिहासिक संदर्भ
मैनहैटन प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक निदेशक जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर थे। उन्हें परमाणु बम का जनक कहा जाता है। इस ऐतिहासिक घटना पर क्रिस्टोफर नोलन ने ओपनहाइमर फिल्म बनाई। यह फिल्म 2023 में रिलीज हुई थी।
फिल्म में सिलियन मर्फी ने ओपनहाइमर की भूमिका निभाई। फिल्म ने परमाणु बम के विकास की पूरी कहानी दिखाई। इसमें ओपनहाइमर के नैतिक संघर्षों को भी दर्शाया गया। फिल्म को दर्शकों और आलोचकों से सराहना मिली।
वर्तमान परिदृश्य और वैश्विक प्रतिक्रिया
ट्रंप की घोषणा ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नई चिंताएं पैदा की हैं। परमाणु निरस्त्रीकरण समर्थक इस निर्णय की आलोचना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों से परमाणु परीक्षण पर रोक का सम्मान करने का आग्रह किया है। वैश्विक शांति के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। परमाणु हथियारों का प्रसार रोकने के प्रयासों को झटका लग सकता है। दुनिया के अन्य देश भी इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। भविष्य में इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
