International News: अमेरिका के व्हाइट हाउस स्टेट एडवाइजरी पीटर नवारो ने भारत पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अपने डॉलर रिजर्व का इस्तेमाल अमेरिका से पूछकर करना चाहिए। खासकर रूस से तेल खरीदने के लिए इन फंड्स का उपयोग नहीं करना चाहिए। भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
नवारो के विवादित दावे
पीटर नवारो ने फाइनेंशियल टाइम्स में एक लेख लिखा। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका का भारत के साथ 40 मिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष है। यह राशि आरबीआई के विदेशी रिजर्व में जमा है। नवारो चाहते हैं कि भारत इन डॉलर का उपयोग केवल अमेरिकी मंजूरी वाले कार्यों में करे।
ऐतिहासिक समानता
1960-70 के दशक में अमेरिका ने जर्मनी के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया था। अमेरिका ने जर्मनी को डॉलर रिजर्व के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी। जर्मनी को गोल्ड खरीदने या तीसरे देशों से व्यापार करने की इजाजत नहीं थी। अमेरिका अब भारत पर वही नीति अपना रहा है।
सिब्बल की प्रतिक्रिया
कंवल सिब्बल ने सोशल मीडिया पर अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट को जवाब दिया। बेसेंट ने भारत पर रूसी तेल आयात के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने का बचाव किया था। सिब्बल ने कहा कि बेसेंट झूठे तथ्यों के आधार पर भारत के साथ तनाव पैदा कर रहे हैं।
चीन के आयात का सच
सिब्बल ने बेसेंट के दावों का खंडन किया। उन्होंने बताया कि 2024 में रूस से चीन का कच्चे तेल का आयात 62.59 बिलियन डॉलर था। जुलाई 2025 में चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक था। उसके बाद भारत और तुर्की का स्थान था। अमेरिका ने चीन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।
गैस आपूर्ति का मामला
सिब्बल ने पावर ऑफ साइबेरिया पाइपलाइन का उल्लेख किया। यह पाइपलाइन गज़प्रोम द्वारा संचालित है और चीन को गैस सप्लाई करती है। गज़प्रोम रूस की ऊर्जा रणनीति का प्रमुख हिस्सा है। चीन के लिए यह गैस आपूर्ति का महत्वपूर्ण स्रोत है।
