India News: अमेरिका ने भारत के खिलाफ एक बड़ा व्यापारिक कदम उठाया है। अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की है कि भारत से आयातित अधिकांश वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। यह कदम रूस से जुड़े मामलों को लेकर उठाया गया है। इसका सीधा असर भारत के अरबों डॉलर के निर्यात पर पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला?
अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने एक अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया कि भारत से आयात होने वाली वस्तुओं पर 25% कर और 25% दंड मिलाकर कुल 50% शुल्क लगेगा। अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि भारत रूसी तेल का आयात कर रहा है। इसी वजह से यह कदम उठाया गया है।
चीन को क्यों मिली छूट?
दिलचस्प बात यह है कि चीन भारत से कहीं अधिक मात्रा में रूसी तेल आयात करता है। फिर भी उस पर ऐसा कोई शुल्क नहीं लगाया गया। इससे साफ जाहिर होता है कि ट्रंप प्रशासन विशेष रूप से भारत को निशाना बना रहा है। यह निर्णय आर्थिक कम और राजनीतिक ज्यादा लगता है।
शुल्क लगाने के पीछे के कारण
विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले के पीछे कई कारण हैं। भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। इसके अलावा, ब्रिक्स समूह का अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देना भी एक वजह हो सकती है। भारत-अमेरिका संबंधों में यह एक नया मोड़ है।
किन उत्पादों पर पड़ेगा असर?
यह शुल्क 28 अगस्त से लागू हो गया है। इससे भारत का लगभग 87.3 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा। आधे से अधिक निर्यात पर अब 50% कर लगेगा। वस्त्र, गहने, समुद्री भोजन और चमड़े के उत्पाद सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट दी गई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इस कदम का भारत की जीडीपी पर 0.2% से 1% तक का असर पड़ सकता है। अनुमान है कि 7 से 25 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। छोटे और मध्यम उद्योगों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। निर्यात कम होने से रोजगार पर भी असर पड़ सकता है।
आगे की राह
भारत के सामने अब नए बाजार तलाशने की चुनौती है। घरेलू उपभोग को बढ़ावा देने की भी जरूरत है। इसके साथ ही अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत भी जारी रहेगी। यह घटना भारत की आर्थिक रणनीति के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गई है।
