Texas News: अमेरिका के टेक्सास राज्य में भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति की स्थापना को लेकर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। रिपब्लिकन पार्टी के एक नेता ने इस मूर्ति पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे एक झूठे हिंदू भगवान की मूर्ति बताया। इस बयान के बाद सोशल मीडिया और हिंदू संगठनों में गहरी प्रतिक्रिया हुई है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने इस बयान की कड़ी निंदा की है।
शुगर लैंड शहर के श्री अष्टलक्ष्मी मंदिर में स्थापित इस मूर्ति को ‘स्टैचू ऑफ यूनियन’ नाम दिया गया है। यह मूर्ति 90 फीट ऊंची है और हाल ही में स्थापित की गई थी। रिपब्लिकन नेता अलेक्जेंडर डंकन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा किया। उन्होंने अपने पोस्ट में अमेरिका को एक ईसाई राष्ट्र बताते हुए सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि टेक्सास में एक हिंदू भगवान की मूर्ति की अनुमति क्यों दी गई।
रिपब्लिकन नेता का विवादित बयान
अलेक्जेंडर डंकन ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में स्पष्ट शब्दों में आपत्ति जताई। उन्होंने लिखा कि टेक्सास में एक झूठे हिंदू भगवान की मूर्ति की अनुमति क्यों दी जा रही है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका एक ईसाई राष्ट्र है। एक अन्य पोस्ट में उन्होंने बाइबिल का हवाला देते हुए कहा कि ईश्वर के अलावा किसी अन्य की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए। उनके इन बयानों ने तुरंत एक राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी।
डंकन के बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रिया हुई। कई यूजर्स ने उन्हें अमेरिकी संविधान के प्रथम संशोधन की याद दिलाई। इस संशोधन में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित किया गया है। लोगों ने टिप्पणी की कि अमेरिका किसी एक धर्म का राष्ट्र नहीं है। उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और सम्मान की अपील की। इस विवाद ने टेक्सास की राजनीति में नई बहस शुरू कर दी है।
हिंदू संगठन की प्रतिक्रिया
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की। संगठन ने डंकन के बयान को हिंदू-विरोधी और भड़काऊ करार दिया। एचएएफ ने आधिकारिक तौर पर टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी के पास इसकी शिकायत दर्ज कराई। संगठन ने पार्टी से नेता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान भेदभाव-विरोधी दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन हैं।
एचएएफ ने सोशल मीडिया पर सीधे टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी से अपील की। उन्होंने पूछा कि क्या पार्टी अपने उम्मीदवार को अनुशासित करेगी। संगठन ने जोर देकर कहा कि यह बयान धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अमेरिकी सिद्धांत के विपरीत है। इस घटना ने अमेरिका में हिंदू समुदाय की धार्मिक अभिव्यक्ति के अधिकारों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यह मामला अब राज्य की राजनीति का केंद्र बन गया है।
