Uttarakhand News: अल्मोड़ा जिले के ग्रामीण इलाकों में गुलदारों की बढ़ती सक्रियता ने गंभीर समस्या पैदा कर दी है। पिछले एक महीने में इन जंगली जानवरों ने बीस से अधिक पालतू पशुओं का शिकार किया है। ग्रामीणों के जीवन में डर का माहौल छा गया है। यह wildlife news स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है। शाम ढलते ही लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं।
बच्चों को बाहर खेलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। महिलाएं और बुजुर्ग अकेले बाहर निकलने से डरते हैं। पशुपालन पर निर्भर परिवारों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की जा रही है।
मटेला गांव में सीसीटीवी फुटेज
मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर मटेला गांव की स्थिति सबसे गंभीर बताई जा रही है। यहां दो गुलदारों ने अपना ठिकाना बना लिया है। गांव के खेतों और सड़कों पर उनकी नियमित उपस्थिति दर्ज की जा रही है। ग्रामीण गोपाल सिंह के घर के सीसीटीवी कैमरे में एक गुलदार साफ दिखाई दिया। यह फुटेज चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
पिछले सप्ताह में दस बार से अधिक गुलदार सीसीटीवी में कैद हुए हैं। इससे गांव में दहशत का माहौल है। लोग दिन के समय भी सतर्कता बरत रहे हैं। किसानों को अपनी फसलों की देखभाल में कठिनाई हो रही है। रात के समय खेतों में जाने का साहस कोई नहीं जुटा पा रहा है।
वन विभाग पर ग्रामीणों के आरोप
स्थानीय निवासियों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि विभाग इस समस्या को हल्के में ले रहा है। अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों की मांग है कि गांव में पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए। पिंजरे लगाकर गुलदारों को पकड़ा जाए। टीम भेजकर जानवरों को आबादी से दूर किया जाए।
लोगों का यह भी मानना है कि विभाग को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। इससे ग्रामीण स्वयं सावधानियां बरत सकेंगे। वर्तमान में गांवों में भय और असुरक्षा का वातावरण है। लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही कोई समाधान निकालेगा।
आर्थिक प्रभाव और सुरक्षा चिंताएं
पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गुलदारों के हमलों ने इस पर सीधा प्रहार किया है। कई परिवारों ने अपनी आजीविका के साधन खो दिए हैं। leopard attack की घटनाओं ने लोगों की मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव डाला है। बच्चों के मन में जंगली जानवरों का डर बैठ गया है।
किसानों को खेतों में काम करने में दिक्कत हो रही है। महिलाओं को लकड़ी लेने जंगल जाना पड़ता है। अब वे इस काम में भी डर महसूस कर रही हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए भी खतरा बढ़ गया है। अभिभावक उन्हें स्कूल छोड़ने और लेने जाते समय सतर्क रहते हैं।
भविष्य की संभावनाएं और समाधान
वन विभाग के अधिकारियों ने स्थिति को गंभीरता से लिया है। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। पिंजरे लगाने और पेट्रोलिंग बढ़ाने पर विचार चल रहा है। विशेषज्ञों की एक टीम क्षेत्र का निरीक्षण करेगी। वे गुलदारों के व्यवहार और आंदोलन पैटर्न का अध्ययन करेंगे।
ग्रामीणों ने स्वयं भी सुरक्षा उपाय शुरू किए हैं। वे समूह में चलते हैं और रात में बाहर निकलने से परहेज करते हैं। कुछ लोगों ने अपने घरों के आसपास अतिरिक्त रोशनी का प्रबंध किया है। सामुदायिक स्तर पर सतर्कता बढ़ाई जा रही है। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के समन्वय से समस्या के समाधान की उम्मीद की जा रही है।
