Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बालिग जोड़े की शादी को अमान्य करार दिया है। जोड़े ने फर्जी धर्म परिवर्तन प्रमाणपत्र के आधार पर शादी की थी और सुरक्षा मांगी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फर्जी धर्म परिवर्तन के आधार पर हुई शादी वैध नहीं हो सकती। हालांकि कोर्ट ने जोड़े को विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी पंजीकृत कराने का विकल्प दिया है।
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने यह फैसला सुनाया। मामला मोहम्मद बिन कासिम उर्फ अकबर और जैनब परवीन उर्फ चंद्रकांता का था। दोनों विपरीत धर्मों से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने एक धार्मिक संस्थान से प्रमाणपत्र जारी करवाकर धर्म परिवर्तन किया था। इसके बाद मई 2025 में उनका निकाह हुआ था।
फर्जीवाड़ा सामने आने पर शादी हुई अमान्य
कोर्ट में सरकारी वकील ने पेश किए गए प्रमाणपत्र को फर्जी साबित किया। संबंधित धार्मिक संस्थान के प्रबंधक ने पुलिस को बयान दिया था। उन्होंने कहा कि उनकी संस्था ने ऐसा कोई प्रमाणपत्र जारी नहीं किया है। इस आधार पर कोर्ट ने धर्म परिवर्तन को फर्जी माना। फिर शादी को अवैध घोषित कर दिया।
कोर्ट ने कानूनी सिद्धांत स्पष्ट किया। मुस्लिम व्यक्तिगत कानून के अनुसार निकाह केवल दो मुसलमानों के बीच ही मान्य होता है। अगर धर्म परिवर्तन ही फर्जी है तो निकाह की वैधता स्वतः समाप्त हो जाती है। इस तरह जोड़ा कानूनी रूप से शादीशुदा नहीं माना जा सकता।
याचिका दाखिल करने वाले वकील पर लगाया जुर्माना
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने उन्हें कड़ी चेतावनी भी दी। आगे से बिना सत्यापन के फर्जी दस्तावेजों के साथ याचिका दाखिल न करने को कहा। जुर्माने की राशि 15 दिनों के भीतर हाईकोर्ट मध्यस्थता केंद्र में जमा कराने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि अगर जुर्माना समय पर नहीं जमा होता है तो जिलाधिकारी के माध्यम से राशि वसूल की जाएगी। यह कदम गंभीर मामलों में दस्तावेजों की पुष्टि न करने की लापरवाही के खिलाफ उठाया गया है। इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगने की उम्मीद है।
जोड़े को मिला विशेष विवाह कानून के तहत पंजीकरण का विकल्प
अदालत ने जोड़े के अधिकारों का भी ध्यान रखा। कोर्ट ने माना कि संविधान बालिगों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार देता है। इसलिए जोड़ा बिना धर्म बदले विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी पंजीकृत करा सकता है। चूंकि गाजीपुर में इस समय विशेष विवाह अधिनियम का निबंधक नहीं है।
इस कारण कोर्ट ने जोड़े को प्रयागराज में पंजीकरण के लिए आवेदन करने की अनुमति दी। कोर्ट ने अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता को निर्देश दिए। उन्हें जिला कारावास अधिकारी को दो घंटे के भीतर इसकी सूचना देनी होगी। इसके लिए 16 अक्टूबर 2025 की तारीख तय की गई है।
महिला याची को भेजा नारी संरक्षण गृह
चंद्रकांता उर्फ जैनब ने परिवार के साथ जाने से इनकार कर दिया था। इस पर कोर्ट ने उन्हें पंजीकरण प्रमाणपत्र मिलने तक नारी संरक्षण गृह प्रयागराज में रखने का आदेश दिया। वह इससे पहले पुरुष याचिकाकर्ता के साथ रह रही थीं। कोर्ट ने याची को सुरक्षा प्रदान करने के भी निर्देश जारी किए हैं।
पुलिस आयुक्त और जिलाधिकारी समेत संबंधित अधिकारियों को इस आदेश की सूचना देनी होगी। कोर्ट ने निबंधक से 16 अक्टूबर 2025 को एक रिपोर्ट भी मांगी है। इस रिपोर्ट में शादी के पंजीकरण की प्रगति के बारे में बताना होगा। मामले में आगे की कार्यवाही इसी रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।
