Delhi News: जिले में वायु गुणवत्ता लगातार बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। शनिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 343 दर्ज किया गया। यह लगातार 14वां दिन है जब AQI 300 से ऊपर रहा है। खराब हवा के कारण लोगों में सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और खांसी की समस्याएं बढ़ रही हैं। प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद हवा में सुधार नहीं हो रहा है।
शुक्रवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की संयुक्त टीमों ने औद्योगिक इकाइयों के निरीक्षण का अभियान चलाया। टीमों ने 101 स्थानों का निरीक्षण किया और 29 इकाइयों में नियमों का उल्लंघन पाया। साथ ही पांच निर्माण एवं विध्वंस स्थलों पर भी प्रदूषण नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। फिरोजपुर बांगर क्षेत्र में 250 औद्योगिक इकाइयों की जांच की गई।
अस्पतालों में बढ़ा मरीजों का दबाव
वायुप्रदूषण के बढ़ते स्तर का स्वास्थ्य पर सीधा असर दिख रहा है। सिविल अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़कर 2000 तक पहुंच गई है। इनमें अधिकांश मरीज सांस संबंधी समस्याओं, फेफड़ों के रोगों और एलर्जी से पीड़ित हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह स्थिति अस्थमा के मरीजों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है।
विशेषज्ञों ने बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। लोगों को सुबह की सैर से बचने और बाहर निकलते समय मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी के मरीजों की तकलीफ बढ़ रही है।
निर्माण स्थलों पर लापरवाही
निरीक्षण केदौरान निर्माण और विध्वंस स्थलों पर बड़े पैमाने पर लापरवाही देखने को मिली। 101 निर्माण स्थलों की जांच में से 5 साइटों पर धूल नियंत्रण के उपाय नहीं थे। इन स्थलों पर पानी का छिड़काव नहीं किया जा रहा था और निर्माण सामग्री खुले में पड़ी थी। इससे धूल का प्रदूषण सीधे वातावरण में मिल रहा है।
55 औद्योगिक इकाइयों के निरीक्षण में 21 इकाइयों ने नियमों का उल्लंघन किया। इनमें दो निर्माण स्थल भी शामिल थे। संयुक्त कार्रवाई के दौरान 46 औद्योगिक इकाइयों की जांच की गई। इनमें से आठ इकाइयों में कमियां पाई गईं जिनमें तीन निर्माण स्थल शामिल थे।
मौसम की भूमिका
विशेषज्ञोंके अनुसार नवंबर महीने में मौसम की स्थिति प्रदूषण बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कोहरे के साथ हवा की गति कम होने से प्रदूषण जमीन के स्तर पर जमा हो रहा है। सर्दियों का बढ़ता प्रभाव वायु प्रदूषण को और बढ़ा रहा है। इससे वायु गुणवत्ता सूचकांक तेजी से बढ़ता है।
ठंड के मौसम में हवा की धीमी गति प्रदूषक तत्वों को फैलने नहीं देती। ये तत्व निचले वातावरण में जमा होते रहते हैं। इससे वायु गुणवत्ता लगातार खराब बनी रहती है। मौसम विभाग के अनुसार हवा की गति बढ़ने पर ही स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
जिला प्रशासन ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। औद्योगिक इकाइयों से प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित करने को कहा गया है। प्रशासन की टीमें लगातार निरीक्षण कर रही हैं।
सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने लोगों से स्वास्थ्य सावधानियां बरतने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र के रोगियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अस्पताल प्रशासन ने श्वसन रोगों के इलाज की विशेष व्यवस्था की है। मरीजों को त्वरित उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।
