Uttar Pradesh News: आगरा जिले के बाह क्षेत्र में एक जघन्य अपराध के बाद न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश सोनिका चौधरी ने दो आरोपियों को फांसी की सजा दी है। यह मामला पांच वर्षीय एक बालिका के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या से जुड़ा है। आरोपियों में पीड़िता के रिश्ते के चाचा भी शामिल हैं।
अठारह मार्च उन्नीस सौ चौबीस को यह भीषण घटना घटी थी। बाह थाना क्षेत्र के एक गांव में बालिका अपने घर के बाहर खेल रही थी। तभी उसके चाचा अमित और उसके साथी निखिल ने उसे बहलाया। फिर वे उसे बाइक पर बिठाकर ले गए। इसके बाद उन्होंने बच्ची के साथ अमानवीय व्यवहार किया।
आरोपियों ने बच्ची का अपहरण करने के बाद उसके साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान उन्होंने उसे भारी यातनाएं दीं। अंततः बच्ची की निर्मम हत्या कर दी गई। हत्यारों ने शव को छिपा दिया। फिर उन्होंने एक साहसिक कदम उठाया और परिवार से फिरौती मांगी।
फिरौती की मांग ने खोला राज
उन्नीस मार्च को बालिका के पिता को एक फोन आया। अज्ञात नंबर से फोन करने वाले ने छह लाख रुपये की फिरौती मांगी। इस पर पिता ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामले की जांच शुरू की। अगले ही दिन पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल किया। उनकी बताई जगह से पुलिस ने बच्ची का शव बरामद किया। शव की हालत देखकर पुलिसकर्मी और गांव वाले सहम गए। बच्ची के शरीर पर चोट के कई निशान थे। उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म के सबूत मिले।
तेज रफ्तार में चला मुकदमा
पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई की। एक महीने के अंदर ही पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी। न्यायालय ने भी मामले की त्वरित सुनवाई शुरू की। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सोनिका चौधरी के समक्ष हुई। अभियोजन पक्ष ने मजबूत सबूत पेश किए।
अपराध की जघन्य प्रकृति को देखते हुए न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया। अदालत ने अठारह गवाहों के बयान दर्ज किए। सभी सबूतों का विस्तृत परीक्षण किया गया। अभियोजन पक्ष के तर्कों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने फैसला सुनाया। न्यायालय ने इस अपराध को मानवता के खिलाफ बताया।
सजा सुनकर रो पड़े आरोपी
फैसला सुनाते समय न्यायालय का कमरा सन्नाटे में डूब गया। जब न्यायाधीश ने फांसी की सजा सुनाई तो आरोपियों का साहस टूट गया। वे जोर-जोर से रोने लगे और माफी मांगने लगे। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। न्यायालय ने उनकी भावनाओं पर कोई विचार नहीं किया।
पीड़ित परिवार ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय मिला है। हालांकि उनकी बेटी वापस नहीं आ सकती। लेकिन इस फैसले से समाज को एक संदेश गया है। यह संदेश है कि ऐसे अपराधियों को कोई नहीं बचा सकता।
पिछले साल भी सुनाई थी फांसी
रिपोर्ट्स के अनुसार यह न्यायाधीश सोनिका चौधरी का दूसरा ऐतिहासिक फैसला है। पिछले वर्ष भी पंद्रह अक्टूबर को उन्होंने एक दुष्कर्मी को फांसी की सजा सुनाई थी। इस वर्ष भी उन्होंने उसी तारीख को यह फैसला सुनाया। इससे न्यायपालिका की दृढ़ इच्छाशक्ति का पता चलता है।
अभियोजन पक्ष के अधिकारी सुभाष गिरी ने मामले की सफल पैरवी की। उन्होंने अठारह गवाहों के बयान दर्ज कराए और सबूतों के आधार पर मजबूत मामला बनाया। न्यायालय ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया। यह फैसला कानून की शक्ति को दर्शाता है।
