India News: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सहमति से यौन संबंध की उम्र 18 साल से कम नहीं होगी। यह बयान एक याचिका पर आया, जिसमें उम्र 16 साल करने की मांग थी। सरकार का कहना है कि यह कानून बच्चों को यौन शोषण से बचाता है। विश्व के देशों में यह उम्र अलग-अलग है। नाइजीरिया में यह 11 साल है।
भारत में सहमति की उम्र पर बहस
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि सहमति की उम्र 18 साल रखना जरूरी है। यह बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए है। एक याचिका में उम्र 16 साल करने की मांग उठी थी। सरकार ने कहा कि कम उम्र में सहमति की समझ सीमित होती है। POCSO कानून नाबालिगों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इस मुद्दे पर देश में लंबे समय से चर्चा चल रही है।
नाइजीरिया और फिलीपींस में सबसे कम उम्र
नाइजीरिया में सहमति से यौन संबंध की उम्र 11 साल है। यह दुनिया में सबसे कम है। फिलीपींस में यह उम्र 12 साल है। इस पर हाल में विवाद भी हुआ था। दोनों देशों में कम उम्र के कानून को लेकर सवाल उठे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर देशों में ऐसे नियम आम हैं। इन देशों में कानून बदलने की मांग भी हो रही है।
जर्मनी और इटली में 14 साल की सीमा
जर्मनी में सहमति की उम्र 14 साल है। लेकिन दोनों पक्षों की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए। यदि अंतर अधिक हो, तो इसे बलात्कार माना जाता है। इटली में भी यही नियम लागू है। वहां 14 साल की उम्र में सहमति से संबंध की अनुमति है। इन देशों में कड़े नियम शोषण को रोकते हैं। यह कानून किशोरों की सुरक्षा पर केंद्रित है।
ब्राजील में 12 से 14 साल की उम्र
ब्राजील में सहमति की उम्र 14 साल है। कुछ मामलों में यह 12 साल तक हो सकती है। यह नियम किशोरों को स्वतंत्रता देता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में उम्र की सीमा लागू होती है। ब्राजील में कानून यौन शोषण को रोकने के लिए सख्त है। कम उम्र में संबंध को लेकर वहां भी बहस होती है। यह नियम अन्य देशों से अलग है।
ब्रिटेन और अमेरिका में क्या है नियम?
ब्रिटेन में सहमति की उम्र 16 साल है। यह कानून सख्ती से लागू होता है। अमेरिका में यह उम्र 16 से 18 साल के बीच है। अलग-अलग राज्यों में नियम भिन्न हैं। संघीय कानून 18 साल की उम्र को मानता है। कम उम्र में संबंध को बलात्कार माना जाता है। इन देशों में किशोरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून हैं।
भारत में POCSO कानून का महत्व
भारत में POCSO कानून 18 साल से कम उम्र के बच्चों की सुरक्षा करता है। यह सहमति की उम्र को सख्ती से लागू करता है। सरकार का कहना है कि यह बच्चों को शोषण से बचाता है। कम उम्र में सहमति को कानूनी मान्यता नहीं है। इस कानून ने यौन अपराधों पर अंकुश लगाया है। लेकिन किशोरों के बीच संबंधों पर बहस जारी है।
विश्व में सहमति की उम्र का अंतर
विश्व के देशों में सहमति की उम्र 13 से 18 साल के बीच है। सूडान और नाइजर में यह 13 साल है। फ्रांस और स्वीडन में 15 साल है। जापान ने हाल में उम्र 13 से बढ़ाकर 16 साल की। कनाडा में यह 16 साल है। हर देश अपने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर उम्र तय करता है।
किशोरों के लिए कानूनी छूट की मांग
भारत में कुछ लोग सहमति की उम्र 16 साल करने की मांग करते हैं। उनका कहना है कि किशोर जल्दी परिपक्व हो रहे हैं। लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि कम उम्र में शोषण का खतरा बढ़ सकता है। कुछ देशों में “close-in-age” छूट लागू है। भारत में भी इस पर विचार की मांग हो रही है।
कानून और सामाजिक बहस
सहमति की उम्र को लेकर विश्वभर में बहस चल रही है। भारत में यह मुद्दा किशोरों के अधिकार और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाता है। सरकार का जोर बच्चों की सुरक्षा पर है। लेकिन किशोरों के बीच सहमति से संबंध को अपराध मानने पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञ शिक्षा और जागरूकता को बेहतर रास्ता मानते हैं। यह बहस भविष्य में और गहरा सकती है।
