India News: अंतरिक्ष में दुनिया को अपनी ताकत दिखाने के बाद भारत ने अब गहरे समुद्र में इतिहास रच दिया है। साल 2025 में भारत ने समुद्र की 5,270 मीटर की गहराई में अपनी तकनीक सफलतापूर्वक उतार दी है। यह समुद्र का वह हिस्सा है जहां सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती। भारत ने डीप-सी माइनिंग सिस्टम का सफल परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया है। यह उपलब्धि भारत को महाशक्तियों की कतार में खड़ा करती है।
500 गुना ज्यादा दबाव में भी मिली जीत
भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने यह कारनामा कर दिखाया है। यह परीक्षण किसी लैब में नहीं, बल्कि खुले समुद्र में हुआ। 5,270 मीटर की गहराई पर दबाव सतह से 500 गुना ज्यादा होता है। वहां तापमान भी बहुत कम रहता है। ऐसी खतरनाक जगह पर भी भारत की मशीन ने अपना काम बखूबी किया। तकनीकी चूक होने पर पूरा सिस्टम खत्म हो सकता था, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे सफल बना दिया।
समुद्र तल से मिलेगा भविष्य का ईंधन
इस मिशन का मकसद सिर्फ रिकॉर्ड बनाना नहीं है। भारत का यह सिस्टम समुद्र तल से कीमती खनिज निकालता है। इनमें निकेल, कोबाल्ट और कॉपर शामिल हैं। ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी और गैजेट्स के लिए बहुत जरूरी हैं। भारत अब इन खनिजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा। यह कदम भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देगा।
अब इंसान जाएगा समुद्र की गहराई में
मशीनों के बाद भारत अब इंसानों को भी पाताल में भेजने को तैयार है। भारत का ‘मत्स्य-6000’ (MATSYA-6000) सबमर्सिबल अपने टेस्ट में पास हो गया है। यह यान 3 वैज्ञानिकों को 6,000 मीटर गहराई तक सुरक्षित ले जाएगा। इसमें जान बचाने के खास इंतजाम किए गए हैं। 2025 में हुए इसके परीक्षण पूरी तरह सफल रहे हैं।
ISRO जैसी सफलता की ओर ‘समुद्रयान’
अभी तक अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश ही ऐसा कर पाए थे। अब भारत भी इस एलीट क्लब में शामिल होने जा रहा है। जैसे भारत ने अंतरिक्ष में ISRO के जरिए पहचान बनाई, वैसे ही अब समुद्र में भी झंडा गाड़ेगा। यह मिशन देश की सुरक्षा और रणनीति के लिए गेम चेंजर साबित होगा। भारत ने साफ कर दिया है कि आकाश के बाद अब पाताल पर भी उसकी नजर है।
