शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

अफगानिस्तान-भारत व्यापार: पाकिस्तान रूट बंद, अब हवाई मार्ग से आधी हुई कार्गो लागत

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International News: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने व्यापार को नया रास्ता दिखाया है। तालिबान प्रशासन ने भारत के साथ हवाई व्यापार को बढ़ावा देने का बड़ा फैसला किया है। अरियाना अफगान एयरलाइंस ने दिल्ली-काबुल कार्गो दरों में भारी कटौती की है, जिससे निर्यात और आयात की लागत आधी से भी कम हो गई है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पाकिस्तान ने सीमा बंद कर दी है।

नई दरें 17 नवंबर 2025 से लागू हो चुकी हैं। पहले दिल्ली से काबुल कार्गो भेजने पर प्रति किलो 2 डॉलर तक का खर्च आता था। अब यह दर घटकर मात्र 0.80 डॉलर प्रति किलो रह गई है। काबुल से दिल्ली के लिए कार्गो दर 1 डॉलर प्रति किलो तय की गई है। इससे व्यापारिक लागत में काफी कमी आई है।

पाकिस्तान रूट बंद होने का असर

पाकिस्तान के रास्ते बंद होने से अफगानिस्तान के व्यापार पर गंभीर असर पड़ा था। अफगानिस्तान भारत तक पहुंचने के लिए भूमि मार्ग पर निर्भर था, जो पाकिस्तान से होकर गुजरता है। सीमा बंद होने से ट्रकों की आवाजाही रुक गई और परंपरागत व्यापार मार्ग अवरुद्ध हो गया। इस संकट ने अफगान व्यापारियों को मुश्किल में डाल दिया था।

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अफगानिस्तान के आर्थिक उपमंत्री ने व्यापारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। उन्होंने पाकिस्तान को बायपास कर भारत और ईरान जैसे बाजारों के लिए वैकल्पिक मार्ग अपनाने को कहा है। इसी नीति के तहत हवाई मार्ग को प्राथमिकता दी जा रही है। दिल्ली रूट को विशेष महत्व देते हुए कार्गो दरों में रिकॉर्ड कमी की गई है।

भारतीय बाजार के लिए फायदे

इस निर्णय का सीधा लाभ भारतीय उपभोक्ताओं को मिलेगा। अफगानिस्तान के फल, सूखे मेवे, केसर और कालीन जैसे उत्पाद अब कम लागत में भारत पहुंच सकेंगे। पहले पाकिस्तान मार्ग बंद होने से इन वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो जाती थी। अब हवाई मार्ग से स्थिर आपूर्ति श्रृंखला बनने की उम्मीद है।

भारतीय निर्यातकों के लिए भी नए अवसर पैदा हुए हैं। अफगान बाजार में भारतीय निर्माण सामग्री, दवाएं, मशीनरी और सूखे खाद्य पदार्थों की मांग लगातार बनी हुई है। कम कार्गो दरों से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। इससे द्विपक्षीय व्यापार को नया बल मिलेगा।

अफगान निर्यात में वृद्धि

अफगानिस्तान के आधिकारिक आंकड़े सितंबर और अक्टूबर 2025 में निर्यात मूल्य में वृद्धि दर्शाते हैं। यह 274 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले महीनों की तुलना में सुधार को दर्शाता है। तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान के बजाय अब भारत और ईरान पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

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भारत ने अफगानिस्तान में लगभग 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसमें चाबहार बंदरगाह का विकास भी शामिल है। हाल में हुई काबुल-दिल्ली बैठकों में नई कार्गो उड़ानों और मार्ग विस्तार की योजना बनी है। दोनों देशों के बीच संबंधों को नई दिशा मिल रही है।

भविष्य की योजनाएं

अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने चाबहार बंदरगाह को भारत-अफगान व्यापार का मुख्य द्वार बनाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इससे पाकिस्तान पर निर्भरता समाप्त होगी। भारत-अफगानिस्तान ने नया हवाई मालवाहक गलियारा शुरू किया है, जिसमें दिल्ली-काबुल के साथ अमृतसर-काबुल और कंधार मार्ग भी शामिल हैं।

मुत्तकी ने भारतीय कंपनियों को अफगानिस्तान के लिथियम और तांबे जैसे खनिज संपन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए औपचारिक निमंत्रण दिया। अफगानिस्तान ने भारत से व्यापारियों और छात्रों के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने की अपील की। दोनों देशों ने जलविद्युत परियोजनाओं पर सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

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