New Delhi News: कभी रेलवे स्टेशन पर मूंगफली बेचने वाला Abdul Karim Telgi जुर्म की दुनिया का सबसे बड़ा ‘महारथी’ बन गया। उसने नकली स्टांप पेपर बेचकर देश में 30,000 करोड़ रुपये का विशाल घोटाला अंजाम दिया था। यह भारत के सबसे बड़े और चर्चित वित्तीय घोटालों में गिना जाता है। तेलगी ने अपने शातिर दिमाग और सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगाया।
जेल में बनी महाघोटाले की योजना
तेलगी का जन्म 1961 में कर्नाटक के छोटे से शहर खानापुर में हुआ था। पिता की मौत के बाद उसने परिवार को संभालने के लिए फल और मूंगफली बेची। पैसे कमाने की लालच उसे सऊदी अरब ले गई। वहां उसने जाली दस्तावेज बनाने का हुनर सीखा। साल 1993 में जालसाजी के आरोप में उसे जेल जाना पड़ा। जेल में उसकी मुलाकात राम रतन सोनी से हुई। यहीं पर दोनों ने मिलकर नकली स्टांप के इस बड़े खेल की साजिश रची।
72 शहरों में फैलाया काला कारोबार
जेल से रिहा होकर तेलगी ने नकली पासपोर्ट और स्टांप पेपर बनाना शुरू किया। साल 1994 में उसने एक लाइसेंस हासिल किया और फर्जीवाड़ा बड़े स्तर पर शुरू कर दिया। उस समय हर्षद मेहता स्कैम के कारण बाजार में स्टांप पेपर की कमी थी। तेलगी ने इसी मौके का फायदा उठाया। उसने पुरानी मशीनों से नकली स्टांप छापे और देश के 70 से ज्यादा शहरों में सप्लाई किया। इस घोटाले में कई सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।
अजमेर से हुई गिरफ्तारी
साल 2000 में बेंगलुरु पुलिस ने नकली स्टांप के साथ दो लोगों को पकड़ा। इनसे मिली जानकारी पुलिस को सीधे सरगना तक ले गई। पुलिस ने 2001 में Abdul Karim Telgi को अजमेर से गिरफ्तार कर लिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने एसआईटी (SIT) का गठन किया। जांच में विधायक अनिल गोटे समेत कई बड़े नामों का खुलासा हुआ। कुल 54 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया।
सजा और दर्दनाक अंत
कोर्ट ने 2007 में तेलगी को दोषी करार दिया। उसे 30 साल की सख्त कैद और 202 करोड़ रुपये के भारी जुर्माने की सजा सुनाई गई। उसने अपनी पत्नी शाहिदा के कहने पर अपना गुनाह कबूल कर लिया था। जेल में रहने के दौरान उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई। उसे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियां थीं। साल 2017 में मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के कारण Abdul Karim Telgi की मौत हो गई।
