World News: स्पेन में एक अदालत ने एक कंपनी के फैसले को सही ठहराया है जिसने एक महिला कर्मचारी को उसकी शिफ्ट से लगातार 40 मिनट पहले कार्यस्थल पर आने के कारण नौकरी से निकाल दिया था। यह मामला कार्यस्थल नियमों के पालन पर एक दिलचस्प बहस छेड़ता है। कंपनी ने दो वर्षों तक उसे मना किया पर वह नहीं मानी।
22 वर्षीय इस कर्मचारी का कार्यालय समय सुबह साढ़े सात बजे था। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह लगभग दो साल तक रोजाना सुबह 6:45 से 7:00 बजे के बीच ऑफिस पहुँच जाती थी। प्रबंधन ने उसे कई बार मौखिक और लिखित चेतावनी दी कि वह शिफ्ट से पहले न आए।
कंपनी ने लगाया गंभीर दुर्व्यवहार का आरोप
कंपनीने आरोप लगाया कि वह जल्दी आकर कोई उत्पादक काम नहीं करती थी। उसके पास उस समय करने को कुछ नहीं होता था। प्रबंधन का दावा था कि यह व्यवहार कार्यस्थल के निर्देशों की स्पष्ट अवहेलना थी। आखिरकार, उसे ‘गंभीर दुर्व्यवहार’ के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया।
नौकरी से निकाले जाने के बाद महिला ने एलिकांटे के सामाजिक न्यायालय में अपील दायर की। उसने तर्क दिया कि उसका निष्कासन अनुचित था। उसका मानना था कि जल्दी आना एक अच्छी आदत है और इसे दंड का कारण नहीं बनाया जाना चाहिए।
अदालत ने कंपनी के तर्कों को स्वीकार किया
अदालत नेसुना कि कर्मचारी ने 19 अवसरों पर कार्यालय नियमों का उल्लंघन किया था। कुछ मौकों पर उसने कार्यालय परिसर में प्रवेश करने से पहले ही कंपनी के ऐप के माध्यम से लॉग इन करने का प्रयास किया था। अदालत ने इसे कंपनी के विश्वास का उल्लंघन माना।
जजों ने फैसला सुनाया कि मुद्दा ‘बहुत अधिक समय की पाबंदी’ नहीं था। असली मुद्दा कार्यस्थल के नियमों का पालन करने से उसका इनकार था। अदालत ने कहा कि उसने स्पेनिश श्रमिक संहिता के अनुच्छेद 54 का उल्लंघन किया है।
टीम समन्वय में बाधा बताया गया
कंपनीके एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि महिला का लगातार जल्दी आना ‘टीम के समन्वय में बाधा’ डालता था। कार्य दिवस की शुरुआत से पहले की ये अनियोजित उपस्थिति कार्यप्रवाह को प्रभावित कर सकती थी। यह तर्क अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
फिलहाल, अदालत का यह फैसला बरकरार है। हालांकि, महिला वालेंसिया के सर्वोच्च न्यायालय में आगे अपील करने का विकल्प रखती है। यह मामला कार्यस्थल अनुशासन और नियमों के महत्व को रेखांकित करता है।
भारत और वैश्विक संदर्भ में अलग दृष्टिकोण
भारत जैसेदेशों में आमतौर पर जल्दी आने को एक अच्छी आदत माना जाता है। यह मामला सांस्कृतिक और कानूनी अंतर को उजागर करता है। विभिन्न देशों में कार्यस्थल संस्कृति और अनुबंध के नियम अलग-अलग हो सकते हैं।
इस घटना ने सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा शुरू कर दी है। कई लोग कंपनी के फैसले से सहमत हैं जबकि कुछ इसे कठोर मानते हैं। यह मामला नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए सीख देने वाला है।
