Himachal News: Himachal Pradesh की राजधानी शिमला में जल्द ही एक नया नजारा देखने को मिलेगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य की महिलाओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा ऐलान किया है। शिमला में लिफ्ट के पास 2 करोड़ रुपये की लागत से भव्य ‘हिमाचल हाट’ बनाया जाएगा। सरकार का लक्ष्य महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को ‘हिम ईरा’ ब्रांड के जरिए बड़ा बाजार देना है। इस पहल से Himachal Pradesh की ग्रामीण महिलाओं की आजीविका को नई उड़ान मिलेगी।
‘हिमाचल हाट’ में क्या होगा खास?
शिमला के बीचों-बीच बनने वाले इस हाट में कुल 25 दुकानें होंगी। यहाँ Himachal Pradesh के सभी 12 जिलों के स्वयं सहायता समूह अपने उत्पाद बेच सकेंगे। पर्यटकों को एक ही छत के नीचे पहाड़ी कला, शिल्प और हथकरघा का सामान मिलेगा। इसके अलावा, यहाँ पारंपरिक हिमाचली व्यंजनों का स्वाद भी लिया जा सकेगा। सीएम सुक्खू ने कहा कि यह हाट ग्रामीण कला को प्रदर्शित करने वाला एक जीवंत बाजार बनेगा।
महिलाओं को हर महीने 50 हजार की कमाई
राज्य सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए फूड वैन भी दे रही है। इससे महिलाओं को लगभग 50 हजार रुपये प्रतिमाह की कमाई हो रही है। Himachal Pradesh में अब तक 5,428 स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। सरकार ने हजारों समूहों को करोड़ों रुपये का फंड जारी किया है। इसमें 14,410 समूहों को 36 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड दिया गया है। साथ ही 7187 परिवारों को जोखिम निवारण निधि के रूप में मदद मिली है।
करोड़ों का कारोबार और सरकारी योजनाएं
‘हिम ईरा’ ब्रांड ने बाजार में अपनी धाक जमा ली है। स्थायी दुकानों से अब तक 34.95 करोड़ रुपये की बिक्री हुई है। वहीं, साप्ताहिक बाजारों में 29.70 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के तहत 60 वाहन देने का लक्ष्य रखा है। अब तक 1.15 करोड़ रुपये खर्च करके 18 वाहन स्वीकृत भी कर दिए गए हैं। इससे Himachal Pradesh के दूरदराज के इलाकों में भी व्यापार बढ़ेगा।
कुल्लू में हुनर को मिल रहा नया मंच
हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए कुल्लू में विशेष ट्रेनिंग चल रही है। यहाँ 11 केंद्रों में युवाओं को ट्रेनिंग के साथ 2400 रुपये का मासिक वजीफा भी मिल रहा है। कटराईं, डोभी और प्रीणी जैसे गांवों में टोपी और कारपेट बनाने का काम सिखाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुल्लू का हस्तशिल्प केवल कला नहीं, बल्कि Himachal Pradesh की आर्थिक तरक्की का जरिया है। पर्यटक इन उत्पादों को खूब पसंद कर रहे हैं।
