National News: केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस को मंजूरी दे दी है। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जस्टिस रंजनना प्रकाश देसाई को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। आयोग को अगले 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट तैयार करनी है। इस रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही आयोग की सिफारिशें लागू होंगी। इसी के साथ फिटमेंट फैक्टर भी तय होगा। यह फैक्टर कर्मचारियों और पेंशनधारकों के वेतन और पेंशन में संशोधन का आधार बनेगा। सातवें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था। नए आयोग में इसके आकार को लेकर चर्चा जारी है।
फिटमेंट फैक्टर क्या है और कैसे काम करता है?
फिटमेंट फैक्टर वह अनुपात हैजो पुराने वेतन को नए वेतन से जोड़ता है। ऑल इंडिया एनपीएस एम्प्लॉयीज फेडरेशन के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल के अनुसार, कर्मचारी के पुराने बेसिक पे को फिटमेंट फैक्टर से गुणा किया जाता है। इस गुणन के परिणाम से नया बेसिक वेतन तय होता है। यह प्रक्रिया सभी कर्मचारियों पर लागू होती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का वर्तमान बेसिक वेतन 35,000 रुपये है और नया फिटमेंट फैक्टर 2.11 तय होता है, तो नया बेसिक वेतन 35,000 गुणा 2.11 यानी 73,850 रुपये होगा। बेसिक वेतन बढ़ने से उससे जुड़े अन्य भत्ते भी अपने आप बढ़ जाते हैं। इनमें मकान किराया भत्ता प्रमुख है।
वेतन संरचना पर क्या होगा प्रभाव?
नेक्सडिग्म के डायरेक्टर रमाचंद्रन कृष्णमूर्ति के अनुसार, बेसिक वेतन बढ़ने से एचआरए जैसे भत्ते तुरंत बढ़ जाते हैं। ये भत्ते बेसिक वेतन के प्रतिशत के रूप में दिए जाते हैं। हालांकि, ट्रांसपोर्ट अलाउंस जैसे फिक्स्ड अलाउंसेस में संशोधन में कुछ महीने लग सकते हैं। नया वेतन आयोग लागू होने पर डीए शून्य से शुरू होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए वेतन आयोग के लागू होने पर कर्मचारियों का कुल वेतन 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। हालांकि, वेतन दोगुना होने की संभावना नहीं है। वेतन वृद्धि का सीधा असर बेसिक सैलरी और एचआरए पर पड़ेगा। अन्य भत्ते भी समायोजित किए जाएंगे।
क्या डीए का फिटमेंट फैक्टर से है संबंध?
मंजीत सिंह पटेल के अनुसार, डीए का फिटमेंट फैक्टर से सीधा संबंध नहीं होता। लेकिन यह एक महत्वपूर्ण संकेतक जरूर होता है। यदि मौजूदा डीए 58 प्रतिशत है और नया आयोग लागू होते समय यह 70 प्रतिशत हो जाता है, तो सरकार इसमें ग्रोथ फैक्टर जोड़ती है। पिछली बार यह फैक्टर 24 प्रतिशत था।
फैमिली यूनिट्स को भी फिटमेंट फैक्टर तय करने में ध्यान में रखा जाता है। पिछली बार यह तीन थीं, इस बार इसे चार माना जा सकता है। इस स्थिति में फिटमेंट फैक्टर में लगभग 13 प्रतिशत अतिरिक्त वृद्धि की संभावना बनती है। इस प्रकार फिटमेंट फैक्टर कई तत्वों का मिश्रण होता है।
क्या सभी के लिए समान होगा फिटमेंट फैक्टर?
सात वें वेतन आयोग में सभी कर्मचारियों के लिए समान फिटमेंट फैक्टर 2.57 लागू किया गया था। आठवें वेतन आयोग में भी सरलता के लिए यही नीति अपनाई जा सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए फिटमेंट फैक्टर अधिक रखा जा सकता है।
इससे वेतन असमानता को कम करने में मदद मिलेगी। उच्च स्तर के कर्मचारियों के लिए यह थोड़ा कम रह सकता है। आयोग कुछ पे लेवल्स को मर्ज करने का सुझाव भी दे सकता है। वर्तमान में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 18 पे स्केल निर्धारित हैं। इनमें सरलीकरण संभव है।
पेंशनधारकों पर क्या पड़ेगा असर?
केंद्रीय पेंशन धारकों को भी आठवें वेतन आयोग से लाभ मिलेगा। रमाचंद्रन कृष्णमूर्ति के अनुसार, पेंशनर्स को कर्मचारियों के समान अनुपात में लाभ मिलेगा। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.0 तय होता है, तो 30,000 रुपये पेंशन पाने वाले व्यक्ति की नई पेंशन लगभग 60,000 रुपये तक बढ़ जाएगी।
यह लाभ कैबिनेट की अंतिम मंजूरी पर निर्भर करेगा। पेंशन संरचना में यह बदलाव लाखों पेंशनधारकों के जीवन स्तर को प्रभावित करेगा। आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद ही सटीक प्रभाव स्पष्ट हो पाएगा। अभी आयोग का गठन ही प्रारंभिक चरण में है।
