New Delhi News: केंद्र सरकार के आठवें वेतन आयोग को लेकर नई जानकारी सामने आई है। इस आयोग के गठन में हुई देरी ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की चिंता बढ़ा दी है। सरकार ने जनवरी 2025 में इस आयोग को मंजूरी दी थी। लेकिन अभी तक इसके अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। आयोग के कार्यक्षेत्र की रूपरेखा भी अंतिम नहीं हो पाई है। देश भर के लगभग 1.2 करोड़ लोग इसके लागू होने का इंतजार कर रहे हैं।
डीए और डीआर में हुई बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में बढ़ोतरी की घोषणा की है। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए यह वृद्धि तीन प्रतिशत की गई है। नई दरें एक जुलाई 2025 से प्रभावी होंगी। इस बढ़ोतरी के बाद महंगाई भत्ते की दर अट्ठावन प्रतिशत हो गई है। यह फैसला मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करने के लिए लिया गया है। कैबिनेट नोट में इसकी पुष्टि की गई है।
हालांकि आठवें वेतन आयोग से जुड़े मुद्दों पर कोई आधिकारिक बयान अभी तक जारी नहीं किया गया है। कर्मचारी संघ लगातार इस पर सरकार से स्पष्टता की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि आयोग के गठन में देरी से उनकी समस्याएं बढ़ रही हैं। सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई समयसीमा सार्वजनिक नहीं की है।
आयोग कब तक लागू होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक ने जनवरी 2025 में आयोग के गठन को हरी झंडी दी थी। नियमों के अनुसार इस आयोग को एक जनवरी 2026 से लागू किया जाना प्रस्तावित है। यह आयोग दस साल के अंतराल पर गठित किया जाता है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों के वेतन और पेंशन ढांचे में सुधार लाना है।
सातवां वेतन आयोग साल 2016 में लागू किया गया था। यह 2026 तक प्रभावी रहेगा। नया आयोग इसकी जगह लेगा। इसमें वेतन संरचना के साथ साथ अन्य भत्तों की भी समीक्षा की जाएगी। इस प्रक्रिया में आमतौर पर कई महीने लगते हैं। इसलिए समय पर इसके गठन की आवश्यकता है।
किसे मिलेगा लाभ
आठवां वेतन आयोग लगभग पचास लाख केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ देगा। इसके अलावा पैंसठ लाख पेंशनभोगी भी इसके दायरे में आएंगे। रक्षा कर्मी और रक्षा पेंशनभोगी भी इसमें शामिल हैं। आयोग नए वेतन ढांचे की सिफारिश करेगा। साथ ही यह महंगाई भत्ते और अन्य भत्तों की भी समीक्षा करेगा।
कर्मचारियों को वेतन में पच्चीस से तीस प्रतिशत तक की वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि वास्तविक वृद्धि आयोग की अंतिम सिफारिशों पर निर्भर करेगी। यह आयोग मौजूदा आर्थिक हालात और मुद्रास्फीति दर को ध्यान में रखेगा। इसकी सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होंगी।
सरकार इन सिफारिशों की समीक्षा के बाद अंतिम निर्णय लेगी। ऐतिहासिक रूप से सरकारें वेतन आयोग की ज्यादातर सिफारिशों को मानती आई हैं। कुछ मामलों में संशोधन भी किए जाते हैं। इस बार भी ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई जाने की उम्मीद है। कर्मचारी संघ सरकार से जल्द से जल्द आयोग के गठन की मांग कर रहे हैं।
