Himachal News: मंडी जिले के एक पत्रकार ने शाला पंचायत सचिव पर झूठा मामला दर्ज करवाने और बेबुनियाद आरोप लगाने का गंभीर आरोप लगाया है। नरेंद्र सिंह नाम के इस पत्रकार ने पुलिस महानिदेशक हिमाचल प्रदेश के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। उनका दावा है कि पंचायत सचिव ने उनके खिलाफ गोहर पुलिस थाने में एक झूठी अर्जी दी है। यह कार्रवाई पत्रकार द्वारा लोकहित में उठाए गए मुद्दों के कारण की गई है।
नरेंद्र सिंह के अनुसार, वह भूषला गांव की एक महिला नागण देवी की समस्या का न्यूज कवरेज कर रहे थे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले घर की जीओ टैकिंग न होने की शिकायत थी। पत्रकार ने दावा किया कि उन्होंने केवल महिला का बयान रिकॉर्ड किया और स्वयं कुछ नहीं बोला। इस घटना के बाद पंचायत सचिव ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी।
इससे पहले भी पत्रकार और पंचायत प्रतिनिधियों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नरेंद्र सिंह ने शाला पंचायत के उप प्रधान के खिलाफ भी आवेदन दिया था। उन पर सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप पर अपमानजनक बयान देने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में पत्रकार को पुलिस ने फोन कर सूचित किया कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है।
मनरेगा योजना में अनियमितता का आरोप
पत्रकार ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि उन्होंने हाल ही में शाला पंचायत में मनरेगा योजना के तहत हो रही अनियमितताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि यह शिकायत दर्ज कराने के बाद ही उनके खिलाफ यह झूठा मामला बनाया गया है। नरेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि उनकी किसी को बदनाम करने की कोई मंशा नहीं है।
पत्रकार ने पुलिस महानिदेशक से अपील की है कि उनके मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए। उन्होंने न्याय की मांग करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। नरेंद्र सिंह का कहना है कि वह लगातार लोकहित के मुद्दों को उठा रहे हैं और इसी कारण उन्हें परेशान किया जा रहा है।
मामला गोहर पुलिस थाने के अंतर्गत आता है और पत्रकार ने अब उच्चाधिकारियों का दरवाजा खटखटाया है। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर पत्रकारिता की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासी इस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं।
पंचायत सचिव के खिलाफ लगे इन गंभीर आरोपों ने प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेही का मुद्दा उठा दिया है। पत्रकार सुरक्षा से जुड़े मामले अक्सर चर्चा में बने रहते हैं। हिमाचल प्रदेश के इस मामले में भी न्यायिक हस्तक्षेप की संभावना दिख रही है। अब देखना यह है कि पुलिस प्रशासन इस शिकायत पर क्या कार्रवाई करता है।
