Japan News: जापान के नागासाकी शहर ने 9 अगस्त 1945 के परमाणु हमले की 80वीं बरसी मनाई। अमेरिका ने इस हमले में 70,000 लोगों की जान ली थी। तीन दिन पहले हिरोशिमा पर हुए हमले में 1,40,000 लोग मारे गए थे। आज नागासाकी में स्मृति कार्यक्रम हुआ। जीवित बचे लोग परमाणु हथियारों के उन्मूलन की मांग कर रहे हैं। दुनिया फिर परमाणु खतरे की ओर बढ़ रही है।
ऐतिहासिक त्रासदी की याद
9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर परमाणु बम गिराया। इस हमले में 70,000 लोग मारे गए। तीन दिन पहले हिरोशिमा पर पहला बम गिरा। उसमें 1,40,000 लोगों की जान गई। दोनों हमलों ने जापान को झकझोर दिया। 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण किया। इससे द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ। आज भी ये त्रासदी दुनिया को परमाणु हथियारों के खतरे की याद दिलाती है।
स्मृति कार्यक्रम का आयोजन
नागासाकी में 80वीं बरसी पर स्मृति कार्यक्रम हुआ। नागरिकों ने मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। समारोह में हजारों लोग शामिल हुए। जीवित बचे बुजुर्गों ने शांति की अपील की। उन्होंने परमाणु हथियारों के खात्मे की मांग दोहराई। 83 वर्षीय तेरुको योकोयामा ने कहा कि पीड़ितों की कहानियाँ संरक्षित होनी चाहिए। कार्यक्रम में युवाओं से शांति के लिए काम करने की अपील की गई।
जीवित बचे लोगों की पीड़ा
परमाणु हमले में बचे लोग अब बुजुर्ग हो चुके हैं। उनकी संख्या 99,130 रह गई है। उनकी औसत आयु 86 वर्ष है। वे विकिरण जनित बीमारियों से जूझ रहे हैं। हमले की यादें उन्हें आज भी सताती हैं। वे नई पीढ़ी से परमाणु हथियारों के खिलाफ आवाज उठाने की उम्मीद करते हैं। उनकी कहानियाँ दुनिया को शांति का संदेश देती हैं।
परमाणु खतरे की चिंता
दुनिया फिर परमाणु खतरे की ओर बढ़ रही है। नागासाकी और हिरोशिमा के बचे लोग चिंतित हैं। वे कहते हैं कि यह केवल अतीत की बात नहीं है। यह भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों को खत्म करने की जरूरत है। जीवित बचे लोगों ने नेताओं से शांति के लिए कदम उठाने की मांग की। उनकी आवाज दुनिया को सतर्क कर रही है।
जापान का संदेश
नागासाकी और हिरोशिमा की त्रासदी दुनिया के लिए सबक है। जापान हर साल इन हमलों की बरसी मनाता है। स्मृति कार्यक्रमों में शांति की अपील की जाती है। जीवित बचे लोग अपनी कहानियाँ साझा करते हैं। वे चाहते हैं कि दुनिया परमाणु हथियारों से मुक्त हो। जापान की सरकार भी इस दिशा में प्रयास कर रही है। यह त्रासदी मानवता के लिए चेतावनी है।
