National News: देश में दवाओं की गुणवत्ता पर नजर रखने वाली संस्था सीडीएससीओ में दवा निरीक्षकों के आधे पद खाली हैं। यह जानकारी आरटीआई के जरिए सामने आई है। कुल स्वीकृत पदों में से पचास प्रतिशत पद अभी तक भरे नहीं गए हैं। इससे दवाओं की गुणवत्ता जांच प्रभावित हो रही है।
मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले के बाद यह खुलासा चौंकाने वाला है। आरटीआई जवाब के मुताबिक सीडीएससीओ में दवा निरी्षकों की दो श्रेणियां हैं। रेगुलेटरी श्रेणी में 419 स्वीकृत पदों में से 187 खाली हैं। मेडिकल डिवाइस श्रेणी में 85 में से 63 पद रिक्त हैं।
राज्यों में पदों की स्थिति
विभिन्न राज्यों में दवा निरीक्षक पदों की स्थिति चिंताजनक है। गुजरात में 150 में से 100 पद भरे हैं। महाराष्ट्र में 200 में से केवल 50 पद ही भरे गए हैं। कर्नाटक में 112 में से मात्र 8 पद भरे हैं। हिमाचल प्रदेश में 44 में से 39 पद भरे हुए हैं।
ये राज्य दवा कंपनियों के मामले में अग्रणी हैं। गुजरात में लगभग 1150 एमएसएमई इकाइयां हैं। महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में 600 से अधिक इकाइयां कार्यरत हैं। उत्तराखंड में लगभग 400 दवा इकाइयां हैं। पद रिक्त होने से निगरानी प्रभावित हो रही है।
विशेषज्ञों की चिंता
आईएमए अध्यक्ष दिलीप भानुशाली ने इस स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने मध्य प्रदेश की घटना का उल्लेख किया। वहां कफ सिरप में मिलावट पाई गई थी। इससे कई बच्चों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि दवा कंपनियों की निगरानी जरूरी है।
हाल ही में दिल्ली में इनो फैक्ट्री पर छापे में मिलावट पकड़ी गई। ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु में भी पद खाली हैं। वहां 488 पदों में से 344 पर ही कर्मचारी कार्यरत हैं।
सीडीएससीओ के मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों में यह स्थिति है। देशभर में संगठन के लगभग 14 केंद्र हैं। सभी जगह दवा निरीक्षकों की कमी है। इससे दवाओं की गुणवत्ता जांच ठीक से नहीं हो पा रही है। लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।
