Delhi News: देश के कई हिस्सों में दस रुपये के सिक्के को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। लोग इसे वैध मुद्रा मानने से इनकार कर रहे हैं। दुकानों से लेकर सार्वजनिक परिवहन तक में दस रुपये के सिक्के को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया है।
आरबीआई ने कहा है कि सभी डिजाइन वाले दस रुपये के सिक्के पूरी तरह वैध मुद्रा हैं। चाहे उनमें रुपये का प्रतीक हो या न हो, सभी सिक्के कानूनी रूप से मान्य हैं। इन्हें लेनदेन में नकारना गलत और गैरकानूनी है। बैंक ने लोगों से भ्रम फैलाने वाली अफवाहों पर विश्वास न करने की अपील की है।
कहां से शुरू हुई भ्रांति
साल 2006 में भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली बार दस रुपये का सिक्का जारी किया था। यह भारत का पहला द्विधात्विक सिक्का था। इसके केंद्र में तांबा-निकल और किनारे पर एल्युमीनियम-ब्रॉन्ज का इस्तेमाल हुआ था। समय के साथ विभिन्न डिजाइन के सिक्के जारी किए गए।
साल 2011 में रुपये के आधिकारिक प्रतीक के जारी होने के बाद नए सिक्कों पर यह चिह्न अंकित किया जाने लगा। पुराने सिक्कों पर यह प्रतीक नहीं था। इसी आधार पर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलनी शुरू हुई कि बिना प्रतीक वाले सिक्के नकली हैं। लोगों ने बिना पुष्टि किए इसे मान लिया।
आरबीआई का स्पष्टीकरण
भारतीय रिजर्व बैंक ने कई बार आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की है। बैंक ने कहा है कि सिक्के की डिजाइन में अंतर उसकी वैधता को प्रभावित नहीं करता। आरबीआई द्वारा जारी किया गया हर सिक्का प्रामाणिक होता है। बैंक ने लोगों से सभी डिजाइन के सिक्के स्वीकार करने की अपील की है।
आरबीआई के अनुसार अब तक दस रुपये के दस से अधिक डिजाइन जारी किए जा चुके हैं। इनमें से कुछ विशेष आयोजनों के लिए हैं तो कुछ महान व्यक्तित्वों की स्मृति में जारी किए गए हैं। सभी सिक्के पूरी तरह कानूनी हैं और इनका लेनदेन में इस्तेमाल किया जा सकता है।
सिक्का लेने से इनकार है अवैध
व्यापारियों, दुकानदारों और सार्वजनिक परिवहन चालकों द्वारा दस रुपये का सिक्का लेने से इनकार करना कानून के खिलाफ है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत वैध मुद्रा को स्वीकार न करना दंडनीय अपराध है। लोगों को इस संबंध में जागरूक होने की आवश्यकता है।
यदि कोई व्यक्ति बार-बार वैध मुद्रा लेने से इनकार करता है तो उसकी शिकायत की जा सकती है। नजदीकी पुलिस स्टेशन या उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। लोगों को खुद भी ऐसे भ्रम का हिस्सा नहीं बनना चाहिए और न ही दूसरों को बनने देना चाहिए।
कैसे पहचाने वैध सिक्के
वैध सिक्कों में स्पष्ट और साफ प्रिंटिंग होती है। उनका वजन और आकार मानक के अनुरूप होता है। सिक्के के किनारे पर साफ उभरी हुई लाइनें होती हैं। सिक्के के दोनों तरफ के डिजाइन स्पष्ट और पढ़ने योग्य होते हैं। किसी भी प्रकार का संदेह होने पर बैंक से सत्यापन कराया जा सकता है।
नकली सिक्के आमतौर पर हल्के होते हैं और उनका रंग असामान्य लगता है। उनकी प्रिंटिंग धुंधली होती है और किनारे अस्पष्ट होते हैं। ऐसे सिक्कों को तुरंत पहचाना जा सकता है। आरबीआई द्वारा जारी सभी सिक्के उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं और उनकी पहचान आसानी से की जा सकती है।
सोशल मीडिया अफवाहों से बचें
लोगों को सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार की जानकारी की पुष्टि आधिकारिक स्रोतों से करनी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर सभी वैध मुद्राओं की जानकारी उपलब्ध है। संदेह की स्थिति में बैंक शाखाओं से संपर्क किया जा सकता है।
अफवाहों को फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। लोगों को जागरूक होकर ऐसी गलत जानकारी का विरोध करना चाहिए। सही जानकारी साझा करके भ्रम की स्थिति को दूर किया जा सकता है। सामूहिक जिम्मेदारी से ही ऐसी समस्याओं का समाधान संभव है।
व्यापारियों की जिम्मेदारी
व्यापारियों और दुकानदारों को वैध मुद्रा स्वीकार करनी चाहिए। दस रुपये के सिक्के को नकारने से ग्राहकों को परेशानी होती है। इससे दैनिक लेनदेन प्रभावित होता है। व्यापारियों को आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। वैध मुद्रा को अस्वीकार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
ग्राहक भी अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें। यदि कोई वैध मुद्रा लेने से इनकार करता है तो उसे आरबीआई के नियमों से अवगत कराएं। आवश्यकता पड़ने पर उपभोक्ता संगठनों की मदद लें। सही जानकारी का प्रसार करके इस भ्रम को दूर किया जा सकता है।
