Business News: चांदी और सोने की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। चांदी ने अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से 21 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। सोने की कीमतें भी पिछले सप्ताह लगभग साढ़े सात प्रतिशत टूट गईं। यह तेज उतार-चढ़ाव निवेशकों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
चांदी का भाव शुक्रवार को लगभग 1.47 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया। यह अपने उच्चतम स्तर से लगभग 31,000 रुपये की गिरावट को दर्शाता है। वैश्विक बाजारों में लंदन के भौतिक चांदी भंडार में सुधार और मुनाफावसूली ने इस गिरावट को बढ़ावा दिया।
चांदी की गिरावट के प्रमुख कारण
सर्राफा व्यापारियों के अनुसार अमेरिका और चीन से लंदन में चांदी के बड़े प्रवाह ने कीमतों पर दबाव डाला है। लंदन दुनिया भर में चांदी के भौतिक लेनदेन का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां भंडार में होने वाले बदलाव का सीधा असर वैश्विक कीमतों पर पड़ता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लंदन में भंडार की कमी के कारण ही चांदी 14 अक्टूबर को 1.78 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाजिर चांदी 48.5 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर कारोबार कर रही है। यह एक सप्ताह पहले 54.47 डॉलर के स्तर से नीचे है।
सोने की कीमतों में भी दिखी मजबूत गिरावट
सोने की कीमतों ने भी पिछले सप्ताह महत्वपूर्ण गिरावट का सामना किया। शुक्रवार को सोने का खुदरा भाव 1,22,419 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ। यह अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर 1,32,294 रुपये से लगभग 9,875 रुपये की गिरावट दर्शाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिकी डॉलर की मजबूती और अल्पकालिक बिकवाली ने सोने को प्रभावित किया। कई निवेशकों ने ऊंचे स्तरों पर मुनाफा कमाया जिससे बिकवाली का दबाव बना। बाजार में अस्थिरता के चलते नए निवेशक सतर्क नजर आ रहे हैं।
औद्योगिक मांग ने निभाई अहम भूमिका
चांदी की हालिया तेजी के पीछे औद्योगिक मांग एक प्रमुख कारक रही। इस वर्ष सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और पांचजी संचार उपकरणों से मांग में वृद्धि हुई। कृत्रिम बुद्धिमत्ता हार्डवेयर जैसे क्षेत्रों ने भी चांदी की मांग को बढ़ावा दिया।
स्थिर खनन और सीमित पुनर्चक्रण ने आपूर्ति पक्ष को प्रभावित किया। इससे कीमतों में और तेजी आई। विशेषज्ञों का मानना है कि ये दीर्घकालिक कारक अभी भी बाजार को प्रभावित करेंगे।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं
निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के कमोडिटी प्रमुख विक्रम धवन का कहना है कि अल्पकालिक व्यापारी अपने निवेश को समायोजित कर रहे हैं। दीर्घकालिक रणनीतिक निवेशक इस गिरावट को कीमतों के सामान्यीकरण की प्रक्रिया के रूप में देख सकते हैं।
केंद्रीय बैंक और ईटीएफ निवेशक जैसे बड़े निवेशक इस गिरावट को खरीदारी का अवसर मान सकते हैं। बाजार में यह सुधार अस्थायी हो सकता है। दीर्घकालिक मांग और आपूर्ति के कारक अभी भी मजबूत बने हुए हैं।
धनतेरस पर दिखी निवेशकों की रुचि
भारतीय उपभोक्ताओं ने धनतेरस के अवसर पर सोने और चांदी के सिक्कों की खरीदारी की। 18-19 अक्टूबर को हुए इस त्योहार पर निवेशक सक्रिय रूप से बाजार में उतरे। कई निवेशकों ने ईटीएफ के माध्यम से भी इन कीमती धातुओं में निवेश किया।
इस वर्ष कीमती धातुओं के ईटीएफ में लगातार तेजी देखने को मिली है। निवेशकों ने बाजार की अस्थिरता के बावजूद इनमें निवेश जारी रखा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि त्योहारी सीजन की मांग ने कीमतों को एक आधार प्रदान किया है।
